इंदौर। मध्यप्रदेश में इंजीनियरिंग (बीई) और मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेरशन (एमबीए) की फीस अगले तीन साल तक नहीं बढ़ेगी। इन कोर्सेस में हर साल 30 से 40 हजार सीटें खाली रहने से ऐसा होगा।
मप्र एडमिशन एवं फीस रेगुलेटरी कमेटी (एएफआरसी) हर तीन साल में तकनीकी कोर्सेस की फीस रिव्यू करती है। 2016 से 2018 तक की फीस तय की जानी है, लेकिन इसके पहले ही कई कॉलेजों ने इंजीनियरिंग और एमबीए की 10 हजार सीटें सरकार को वापस कर दी हैं। ज्यादातर कॉलेज संचालक तकनीकी कोर्सेस में फीस नहीं बढ़ाने के पक्ष में हैं। इससे हजारों छात्रों को राहत मिलेगी।
10 फीसदी फीस ही बढ़ी थी
एएफआरसी और डायरेक्टोरेट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन भोपाल (डीटीई) के अधिकारियों का कहना है कि बीई और एमबीए की फीस में बढ़ोतरी 2013-14 में की गई थी। कॉलेजों की खराब स्थिति को देखते हुए 25 फीसदी कॉलेजों की सिर्फ 10 फीसदी फीस ही बढ़ाई गई थी। 2014-15 में कई कॉलेजों ने खाली सीटें सरकार को वापस कर दी हैं। कॉलेजों की हालत सुधारने के लिए ज्यादातर कॉलेजों की फीस में कोई अंतर अगले सालों के लिए नहीं किया जाएगा।
37 हजार न्यूनतम, 60 हजार अधिकतम
इंजीनियरिंग की निर्धारित फीस कम से कम 37 हजार और ज्यादा से ज्यादा 60 हजार रुपए तय की गई है। अगले तीन साल तक यही फीस रहेगी।
नए कॉलेज नहीं खुलेंगे
डीटीई के डायरेक्टर के अनुसार इस समय प्रदेश में इंजीनियरिंग की 1 लाख 20 हजार सीटें हैं। हर साल 30 से 40 हजार सीटें खाली रहती हैं। इस बार भी 55 हजार सीटें ही भर पाई हैं। कॉलेजों को कहा गया है कि अगर सीटें नहीं भर पा रहे हैं तो उसे वापस कर दें। नए कॉलेज भी नहीं खोले जाएंगे।
40 हजार सीटें खाली
तकनीकी कोर्सेस की फीस हर तीन साल में बदलती है। 2013-14 में इसमें बदलाव किया गया था। कॉलेजों की स्थिति खराब होने से ज्यादातर कॉलेजों की फीस में बदलाव नहीं किया गया था। सिर्फ 25 फीसदी संस्थानों में 10 फीसदी फीस बढ़ाई गई थी। इस साल 40 हजार से ज्यादा सीटें खाली रह गई हैं इसलिए अगले तीन सालों की फीस में भी कोई खास अंतर नहीं आएगा। – सुनील कुमार, ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी, एएफआरसी, भोपाल
छात्र कम, कॉलेज ज्यादा
छात्रों की संख्या कम हो गई है और कॉलेजों की संख्या बढ़ती जा रही है। ज्यादातर कॉलेजों की सीटें हर साल खाली रह जाती हैं। इस साल 10 हजार से ज्यादा सीटें कॉलेजों ने वापस कर दी हैं। इससे तकनीकी कोर्सेस में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए पहले से तय फीस ही जारी रह सकती है।
– डॉ. आशीष डोंगरे, डायरेक्टर, डीटीई, भोपाल