मध्यप्रदेश के पिछड़ा वर्ग के करीब 15 हजार छात्रों को इस बार स्कॉलरशिप की राशि नहीं मिल सकेगी। इसमें राजधानी के करीब 8 हजार छात्र शामिल हैं। इसकी वजह सर्वर की समस्या और छात्रों को आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख की जानकारी नहीं होना है।
इसे लेकर कॉलेज संचालकों ने मंगलवार को पिछड़ा वर्ग के मंत्री अंतर सिंह आर्य से भी मुलाकात की है। हालांकि उन्होंने मामले को दिखवाने का आश्वासन दिया है। प्रभावित छात्रों में बीई के फर्स्ट सेमेस्टर से अंतिम सेमेस्टर तक के छात्र शामिल हैं।
दरअसल, इस सत्र से पिछड़ा वर्ग के छात्रों की स्कॉलरशिप संबंधी जानकारी ऑनलाइन लिया जाना तय किया गया था। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने अपने स्तर पर ही जानकारी लेने की तारीख 31 दिसंबर 2014 तय कर ली थी। कॉलेज संचालकों का कहना है कि उन्हें अंतिम तारीख की जानकारी ही नहीं दी गई। साथ ही सर्वर भी अंतिम तारीख निकलने के बावजूद जानकारी के आवेदन स्वीकार करता रहा।
इससे छात्रों और कॉलेज संचालकों को जानकारी ही नहीं लगी। अप्रैल में स्कॉलरशिप स्वीकृत होनी थी। लेकिन जब स्कॉलरशिप की राशि छात्रों को नहीं मिली तब छात्रों और कॉलेज संचालकों ने इस मामले में अपने स्तर पर प्रयास शुरू किए। जिसके बाद उन्हें अंतिम तारीख की जानकारी लगी।
मंगलवार को प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज संचालकों की संस्था एसोसिएशन ऑफ टेक्निकल प्राइवेट इंस्टीट्यूशन (एटीपीआई) के सदस्य पिछड़ा वर्ग मंत्री आर्य से मिलने पहुंचे उन्हें बताया गया कि इस बार एडमिशन की संख्या कॉलेजों में वैसे ही कम है। ऐसे में स्कॉलरशिप नहीं आने से उन्हें और परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
22 हजार रुपए है स्कॉलरशिप
पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग इंजीनियरिंग के छात्रों को प्रति सेमेस्टर के अनुसार 22 हजार रुपए स्कॉलरशिप देता है। ऐसे में 15 हजार छात्रों के हिसाब से करीब 33 करोड़ रुपए की राशि होती है जो इंजीनियरिंग संचालकों को नहीं मिल सकेगी।
दोहरा संकट खड़ा हो जाएगा
विभाग की ओर से जानकारी ऑनलाइन जमा करने की अंतिम तारीख बताई ही नहीं गई थी। इसके बाद सर्वर भी अंतिम तारीख निकलने के बावजूद जानकारी जमा करता रहा। जब स्कॉलरशिप की राशि स्वीकृत नहीं हुई तब पूरे मामले का खुलासा हुआ। मंत्री आर्य से मिलकर मामले को सुलझाने की मांग की गई है। – केसी जैन, संयोजक, एटीपीआई