इमालवा – मध्यप्रदेश | प्रदेश में सोमवार को हुए विधानसभा चुनाव के लिए रिकॉर्ड 71 फीसदी का मतदान हुआ। बढे हुए वोट प्रतिशत को सियासी पार्टियां अपनी सुविधा के अनुसार परिभाषित कर रही हैं, लेकिन ये मानने से किसी को गुरेज नहीं होना चाहिए कि मतदाता जागरूक हो गया है और यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है। अचरज की बात यह है कि लगभग आधा दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटों पर 80 फीसदी से ज्यादा वोट पडे हैं।

 

जाने संपूर्ण मध्यप्रदेश में कहाँ कहाँ पड़े कितने वोट  

[button type=”info” target=”_blank” state=”enabled” link=”/vidhansabha2013/mpvidhansabha.pdf” icon=”info-sign”]संपूर्ण मध्यप्रदेश में [/button]

सबसे ज्यादा 83 फीसदी वोट होशंगाबाद और श्‍योपुर जिले में पडे और सबसे कम 54 फीसदी वोट सतना जिले में। लेकिन असल में ज्यादा वोटिंग के जमीनी मायने क्‍या हैं। जाहिर है कि राजनीतिक दलों के लिए मायने उनके नफा-नुकसान पर आधारित है। इस बार राज्‍य में युवा मतदाताओं की संख्या गौर करने लायक थी।

 

युवाओं में उत्साह

इस बार युवा मतदाता लगभग पचास लाख थे जिनमें वोटिंग को लेकर बुजुर्ग या प्रौढ लोगों के मुकाबले ज्यादा ललक थी। उनकी इस ललक ने भी मत प्रतिशत में इजाफा किया। इसके अलावा चुनाव आयोग व राजनीतिक दलों द्वारा ज्यादा से ज्यादा संख्या में मतदान की अपीलों का भी असर हुआ है। चुनाव आयोग ने ‘पहले मतदान बाद में दूसरा काम’ शीर्षक से एक विज्ञापन शृंखला चलाई।

टीवी व मोबाइल के माध्‍यम से भी जनता को जागरूक करने का प्रयास किया गया। चुनाव के एक दिन पहले राज्‍य के ज्यादातर मोबाइल धारक मतदाताओं तक चुनाव आयोग के ‘वॉयस मैसेज’ पहुंचे। कुछ अखबारों की ओर से भी जनहित में वोटिंग के लिए प्रेरित करने वाले विज्ञापन जारी किए गए।

मतदान के प्रतिशत में बढोत्तरी में इन सभी की भूमिका रही है।

 

 


 

 

 

By parshv