शहर के जुलूस में फंसने से पति की मौत का सदमा ऋचा बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। वह खुद को ठगा-सा महसूस कर रही है। उसे लगता है कि आखिर यह कैसे हो सकता है कि इंदौर जैसे शहर में बीमार पति को सिर्फ इसलिए समय से अस्पताल नहीं पहुंचा पाई कि यहां एक धार्मिक जुलूस की वजह से जाम लगा हुआ था।
पति को खो चुकी ऋचा ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को पत्र लिखकर पूरे वाकये की जानकारी दी है। हालांकि उसे किसी से शिकायत नहीं है, लेकिन यह जरूर चाहती है कि ऐसा कुछ तो होना ही चाहिए कि जाम की वजह से फिर कोई अपनों को ना खोए।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में ऋचा ने कहा है कि 29 मार्च को उसके पति के सीने में हल्का सा दर्द उठा तो वह उन्हें ऑटो में लेकर बेटी के साथ क्लॉथ मार्केट अस्पताल के लिए रवाना हुई। अस्पताल तो थोड़ी ही दूरी पर था, पर 45 मिनट तक एक धार्मिक जुलूस से लगे जाम में फंसी रह गई।
मैं मदद के लिए चीखती रही, लेकिन नेताओं और बड़े-बड़े लोगों की इस भीड़ में मेरी आवाज दब गई। जाम खुलने के बाद जब मैं अस्पताल पहुंची, तब तक मेरा सबकुछ छिन चुका था। समय पर अस्पताल न पहुंच पाने की वजह से डॉक्टर मेरे पति को नहीं बचा पाए।
मुख्यमंत्री जी, मेरी तो खुशहाल जिंदगी में ग्रहण लग गया, लेकिन मैं चाहती हूं कि मेरी तरह फिर कोई जुलूस के जाम में फंस कर अपनों को ना खोए। इंदौर जैसे शहर मे फिर कोई परिवार बेसहारा न हो, इसलिए कुछ तो जरूर कीजिए। सड़कों पर निकलने वाले जुलूस-जलसों से लगने वाले जाम से निजात मिलनी ही चाहिए।