मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा है कि शिक्षक विद्यार्थियों के भविष्य की नींव हैं। नींव अगर मजबूत होगी, तो निश्चित ही विद्यार्थियों का भविष्य उज्जवल होगा, देश मजबूत होगा। मुख्यमंत्री समन्वय भवन में मध्यप्रदेश शिक्षक कांग्रेस के प्रांतीय आभार सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर शिक्षक कांग्रेस के उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन हुआ है। विद्यार्थियों की सोच भी बदली है। शिक्षा प्राप्त करने के तरीके भी बदले हैं। नई तकनीक और नए संसाधनों के साथ हम किस तरह अपनी युवा पीढ़ी को बेहतर शिक्षा दे पाएँ, यह एक बड़ी चुनौती शिक्षकों के सामने है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज युवा पीढ़ी को संस्कृति, सभ्यता और संस्कार से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षक विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ परंपराओं और परिवार का सम्मान करने की सींख दें। शिक्षा को सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित न रखें। श्री कमल नाथ ने कहा कि अगर शिक्षा व्यवस्था कमजोर होगी, तो देश के बेहतर भविष्य का निर्माण नहीं हो पायेगा। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग में भटकाव को रोकना होगा, उन्हें सही दिशा और दृष्टि देना होगी। रचनात्मक सोच पैदा करने वाली शिक्षा प्रणाली विकसित करना होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा में वह ताकत होना चाहिए, जो भावी पीढ़ी को देश की महानता, विशेषता और अनेकता में एकता के महत्व को आत्मसात करवाए।
मुख्यमंत्री ने शिक्षकों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार वचन-पत्र में उनसे किये वादे पूरे करेगी। उन्होंने कहा कि मैं घोषणा नहीं करता, काम करके दिखाता हूँ। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश की बदहाल स्थिति और अर्थ-व्यवस्था को सुधारने की है। हम प्राथमिकता के साथ इस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार किया है। इसमें स्कूल, शिक्षक, बच्चे और अभिभावकों को जोड़कर दायित्वपूर्ण शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। एनसीईआरटी की किताबों को स्कूलों में पढ़ाना शुरू किया गया है। शिक्षकों की दक्षता वृद्धि के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। पाँचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा पुन: प्रारंभ की गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि पाठ्यक्रम ऐसे बनाएँ, जो विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा दे सकें। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम में शामिल विषयों की निरंतर समीक्षा होना चाहिए। पूर्व सांसद श्री रामेश्वर नीखरा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। समारोह में सहकारिता मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री तुलसी सिलावट, जनसम्पर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा और गृह मंत्री श्री बाला बच्चन भी उपस्थित थे।