भोपाल। सुप्रीम कोर्ट द्वारा व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने की चंद मिनटों बाद शिवराज सिंह ने कांग्रेस पर प्रहार किया है। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस की दुश्मनी शिवराज से है, तो वे मुझसे बदला लें। कांग्रेस ने मुझ पर घटिया आरोप लगाकर पूरे देश में मप्र की छवि खराब की है। मैं चाहता हूं कि सीबीआई जांच जल्द पूरी हो, जनता को सच पता चले।’ शिवराज ने कहा, ‘यह मेरी अग्नि परीक्षा है, जिसमें मैं खरा उतरूंगा। कांग्रेस शिवराज फोबिया से परेशान है।’
मैं अब राहत महसूस कर रहा हूं
शिवराज सिंह ने कहा, ‘अब मैं राहत महसूस कर रहा हूं। ऐसा नहीं है कि एसआईटी ने ठीक से जांच नहीं की, लेकिन मेरी जनता इस मामले का जवाब चाहती है, तो सीबीआई उन्हें जवाब देगी।’ पीसी के दौरान भावुक हुए सीएम ने कहा,’मन पर एक बोझ था, उम्मीद है ये छटपटाहट कम होगी।’
कांग्रेस ने अब रामनरेश को घेरा…
एक तरफ जहां शिवराज सिंह चौहान मीडिया से बात कर रहे थे, उसी वक्त कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी भी अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को अब स्वयं इस्तीफा दे देना चाहिए। कांग्रेस चाहती है कि व्यापमं मामले की सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो। कांग्रेस ने 16 जुलाई को मप्र बंद का आह्वान किया है।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के व्यापमं (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) घोटाले से जुड़े सभी केस सीबीआई को सौंप दिए हैं। घोटाले के साथ ही इस केस से जुड़े लोगों की संदिग्ध हालात में हुई मौत की जांच करने का जिम्मा भी सीबीआई को सौंपा गया है। सोमवार से सीबीआई इस मामले की जांच करेगी।
24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में पहली रिपोर्ट पेश करेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट यह फैसला लेगा कि वह इस जांच की निगरानी करे या नहीं। कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार और मध्यप्रदेश के गवर्नर को भी नोटिस जारी किया। उन्हें जवाब देने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया। कोर्ट ने गवर्नर पर कोई कमेंट करने से वकील कपिल सिब्ब्ल को रोक दिया।
यह है व्यापमं
- व्यापमं यानी मप्र व्यावसायिक परीक्षा मंडल का गठन 1982 में किया गया था। व्यापमं की स्थापना मेडिकल, इंजीनियरिंग, कृषि, मैनेजमेंट में दाखिले के लिए की गई थी।
- 2008 में व्यापमं का दायरा बढ़ाया गया। एडमिशन के साथ-साथ अब नौकरियों के लिए भी व्यापमं परीक्षा कराता है।
- 2007 से 2013 के बीच एडमिशन-नौकरियों में बड़े पैमाने पर घोटाला।
- घोटाले से 76 लाख लोगों पर असर।
- 5 जुलाई 2009 को पहली बार सामने आया घोटाला।
- । इंदौर में मेडिकल परीक्षा का पेपर लीक होने की शिकायत दर्ज।
- 17 दिसंबर 2009 को सरकार ने जांच के लिए कमेटी बनाई।
- 2009 के बाद भी सुनियोजित ढंग से घोटाला जारी रहा। 2010, 2011, 2012, 2013 में भी घोटाला-शिवराज चौहान पर घोटाले की अनदेखी का आरोप।
- अब तक 140 से ज़्यादा FIR दर्ज हो चुकी हैं। करीब 3800 आरोपी हैं, जिनमें से 800 फ़रार।