चतुर्दशी को इस तरह करें श्राद्ध, पूरी होगी हर मनोकामना

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श्राद्ध श्राद्धपक्ष की तिथियों में होता है। पूर्वज जिस तिथि में इस संसार से गये हैं, श्राद्धपक्ष में उसी तिथि को किया जाने वाला श्राद्ध सर्वश्रेष्ठ होता है। जिनकी मृत्यु की तिथि याद न हो, उनके श्राद्ध के लिए अमावस्या की तिथि उपयुक्त मानी गयी है। इस प्रकार श्राद्धादि कर्म संपन्न करते हुए जीव समस्त मनोरथों को प्राप्त करते हैं। मघा नक्षत्र पितरों को अभीष्ट सिद्धि देने वाला होता है। इसलिए इस नक्षत्र के दिनों में किया गया श्राद्ध अक्षय होता है और पितर इससे संतुष्ट होते है।

आश्विन माह के कृष्णपक्ष यानी श्राद्धपक्ष की चतुर्दशी तिथि पर पितरों की प्रसन्नता के लिए चतुर्दशी का श्राद्ध किया जाता है। इस तिथि पर अकाल मृत्यु को प्राप्त पितरों का श्राद्ध करने का महत्व है। जिन पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं हो, उनका श्राद्ध इस तिथि को करने से वे प्रसन्न होते हैं। चतुर्दशी तिथि पर श्राद्ध करने से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं तथा पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।