कामचोर गधे की हास्य कहानी

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एक गांव में एक व्यापारी रहता था उसका नाम मोहन था मोहन के पास बहुत सारे गधे थे उन गधों में से एक गधा बहुत कामचोर था मोहन जब अपना समान एक गांव से दूसरे गांव बेचने जाता तो वह अपने गधों के ऊपर समान रख कर ले जाता था.

उसको बीच में से नदी पार करनी पड़ती थी तभी वह दूसरे गांव पहुंचकर अपना सामान बेचा करता था मोहन के सारे गधों में से एक गधा बहुत कामचोर था वह उसे जब भी अपना सामान बेचने के लिए ले जाता वह कुछ ना कुछ बहाने बना लेता था ताकि उसे नदी पार करके दूसरे गांव समान लादकर ना जाना पड़े

कई बार जा मोहन उसके ऊपर सामान रखकर नदी पार करता तो वह कोई ना कोई बहाना बनाकर नदी में ही लेट जाता और सारा सामान नदी में गिर कर ख़राब हो जाया करता था मोहन को बहुत गुस्सा आता था लेकिन फिर भी वह यह सोचकर है जाता था कि यह तो जानवर है इसे क्या पता शायद यह थक जाता होगा

एक बार मोहन ने अपने गधे के ऊपर नमक की बोरियां ला दें और नदी पार करने लगा गधे को बहुत वजन लगने लगा वह नदी में ही गिर गया और सारा नमक पानी में घुल कर बेकार हो गया इससे मोहन का बहुत नुकसान हुआ और उसे बहुत गुस्सा आया दूसरी बार जब मोहन दूसरे गांव शक्कर ले कर जाने लगा तो वह फिर उसी तरह नदी में लेट गया और सारी शक्कर पानी में घुल गई थी जिससे मोहन का बहुत नुकसान हुआ और उसे एक भी रुपया नहीं बचा

अब गधा इतना काम चोर हो गया था कि उसे काम ना करने की आदत पड़ गई थी मोहन भी समझ चुका था कि यह गधा जानबूझकर पानी में गिर जाता है जिससे मेरा नुकसान हो और इसे आगे ना जाना पड़े उसने इसका एक उपाय निकाला उसने इस बार गधे के ऊपर रुई की बोरियां लादेन

जब गधा जब बीच नदी में पहुंचा तो वह गिर गया लेकिन इस बार रोई पाए पानी में गिरकर खराब नहीं हुई बल्कि और वजन बढ़ गया और गधा पछताने लगा कि उसने कि उसने इतनी बड़ी गलती कैसे करती

अगर हम बार-बार एक ही काम से बचते रहेंगे तो वह काम हमारे ऊपर बार बार आएगा हमें अपनी मेहनत से जो काम दिया जाए उसे पूरा करना चाहिए और कभी भी काम से जी नहीं चुराना चाहिए