क्या होते हैं नवतपा

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नवतपा को ज्येष्ठ महीने के ग्रीष्म ऋतु में तपन की अधिकता का ध्योतक माना जाता है। शुक्ल पक्ष में आर्द्रा नक्षत्र से लेकर 9 नक्षत्रों में 9 दिनों तक नवतपा रहता है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष, बुधवार के दिन ही आर्द्रा नक्षत्र शुरू हो रहा है।

जरूरी नहीं कि नवतपा में अधिक गर्मी पड़े। आर्द्रा के 10 नक्षत्रों तक जिस नक्षत्र में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है, आगे चलकर उस नक्षत्र में 15 दिनों तक सूर्य रहते हैं और अच्छी वर्षा होती है।

रोहिणी नक्षत्र से नवतपा भी शुरू हो जाएगा। नवतपा में तेज हवा के साथ बवंडर और वर्षा का अंदेशा है। नवतपा समय की ग्रह स्थिति तेज हवा, बवंडर और वर्षा का संकेत दे रहा है। इस बार नवतपा का प्रारंभ 25 मई, सोमवार से हो रहा है जो 2 जून, शनिवार को समाप्त होगा।

गुरु कृतिका नक्षत्र में है। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। सूर्य के साथ गुरु का होना तथा शुक्र का भी अपनी ही राशि वृष में आना मौसम परिवर्तन का योग बनाएगा लेकिन मंगल की राहु पर दृष्टि होने से देश के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में गर्मी का प्रकोप बढ़ेगा।

ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव से 25 मई से नवतपा प्रारंभ हो रहा है। नवतपा के दिनों में शादी-विवाह जैसे मांगलिक यात्रा में विशेष सावधानी रखना चाहिए। ग्रहों की स्थिति को देखते हुए देश के पूर्व, पश्चिम व दक्षिण में प्राकृतिक आपदा का योग बन रहे हैं। इस समय आरम्भ हुआ यह नवतपा गर्मी का प्रकोप बढ़ाएगा।

यह नौतपा आगामी 02 जून,2015 तक चलेगा। इस समय ज्येष्ठ मास में पांच मंगलवार का योग बन रहा हैं, चूंकि मंगल अग्निकारक गृह हैं और इस समय यह सूर्यदेव के साथ मिलकर गर्मी के प्रकोप को और अधिक प्रचंड करेगा।

वैसे भी इस वर्ष ज्येष्ठ माह की शुरुआत 05 मई को मंगलवार के दिन हुई हैं ओर समापन भी मंगलवार को 02 जुन को ही होगा। नवतपा के दौरान सूर्य रोहिणी नक्षत्र में वास करता हैं। इसके प्रभाव स्वरूप सूर्य की सीधी किरणे पृथ्वी पर गिरती हैंइस दौरान गर्मी के काफी तीखे तेवर देखने को मिल सकते हैं।

वर्तमान में राहु व केतु के कारण कालसर्प योग बन रहा है वहीं वृषभ राशि में पांच ग्रह- सूर्य, शुक्र, बुध, गुरु व केतु के होने से पंचग्रही योग बन रहा है। साथ ही इस समय सूर्य व केतु एक ही राशि में स्थित हैं तथा उन पर राहु की दृष्टि पड़ रही है जिसके कारण ग्रहण योग बन रहा है।

देश-दुनिया को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला ग्रह शनि भी वर्तमान में वक्री स्थिति में है तथा मंगल के साथ राहु को देख रहा है। राहु की अपनी नीच राशि में होने से तथा उस पर शनि, मंगल की दृष्टि होने से देश-दुनिया में कोई गंभीर हादसा हो सकता है।

इस स्थिति का असर या होगा की सूर्य के नक्षत्र में सूर्य के साथ गुरु का होना अशुभ फल प्रदान करेगा । वर्तमान में वृष राशि के लिए खराब समय है। चूंकि वृष राशि भारत की भी है इसलिए सरकारी तंत्र के खिलाफ जनता के मन में गुस्सा रहेगा। 29 मई से अस्त गुरु भी उदय हो जाएगा और अपना असर दिखाना शुरू कर देगा।

पृथ्वी तत्व की राशि में गुरु के उदय होने से पत्थरों से बनी वस्तुओं में तेजी आएगी। ग्रहों के प्रभाव से तिलहन, धान्य और रत्नों में तेजी आएगी। सिंह का मंगल नीच राशि के राहु को देख रहा है। मंगल और राहु अंगारक योग बना रहें हैं। मंगल व राहु मिलकर कोई बड़ी परेशानी खड़ी कर सकते हैं।