गणेश प्रतिमाओं पर महंगाई की मार!

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कृष्ण जन्माष्टमी के बाद अब अगले हफ्ते से चौक-चौराहों, मंदिरों और घरों में गणेशजी विराजमान होंगे. राजधानी के बाजारों में इस साल गणेश प्रतिमाओं पर भी महंगाई की मार साफ तौर पर दिखाई देने लगी है.

सरकार द्वारा प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा हुआ है. जिसके कारण मिट्टी की प्रतिमाएं श्रद्धालुओं को दोगुनी कीमत देकर खरीदनी पड़ सकती है. मूर्ति निर्माण से जुड़े कुछ कारीगरों का कहना है कि मिट्टी, रंग, धान, भूसा, पैरा लकड़ी, बारदाना, ब्रश, गोंद, संजीरा जैसी वस्तुओं के महंगे होने की वजह से मूर्तियों की कीमत में इजाफा हो गया है.

राजधानी में अगले हफ्ते से गणेश चतुर्थी की धूम शुरू हो जाएगी. जिसके लिए मूर्तिकार भी मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं. इस वर्ष शासन द्वारा प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों को प्रतिबंधित कर दिए जाने के कारण मिट्टी की बनी मूर्तियां भी महंगे दामों पर श्रद्धालुओं को मिलेगी. जो मूर्ति पिछले साल डेढ़-दो हजार में मिलती थी, अब उतनी ही बड़ी मूर्ति तीन से चार हजार रुपये तक में उपलब्ध होगी.

इस संबंध में डंगनिया में मूर्ति निर्माण में लगे कार्तिक प्रजापति और उनकी पत्नी कौशल्या प्रजापति का कहना है कि पैरा, धान, भूसा, राखड़, लकड़ी इस साल दोगुनी कीमत पर खरीदनी पड़ रही है. गाड़ी वाले भी ज्यादा किराया मांगते हैं. और जिस जगह भी मूर्तियां बेचने बैठते हैं, वहां का किराया ही तीन से चार हजार देना पड़ता है.

बढ़ईपारा में वर्षों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी मूर्तियों का निर्माण करने वाली संस्था रामनारायण कला मंदिर के वरिष्ठ मूर्तिकार रामनारायण यादव का भी कहना है कि मूर्तियां बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली मिट्टी की कीमत डेढ़ गुनी हो गई है. इसी के साथ ही रंग, लकड़ी, ब्रश, गोंद भी दुगुनी से अधिक कीमतों पर खरीदना पड़ रहा है. इसके बावजूद में हम कलाकारों को कला का मोल नहीं मिलता. कई बार तो मूर्तियों को लागत से भी कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

उल्लेखनीय है कि रामनारायण कला मंदिर में 1932 से पीढ़ी-दर-पीढ़ी मूर्ति बनाने का काम किया जा रहा है. वर्तमान में इस कला मंदिर में कलाकार विशाल यादव, वीरेन्द्र यादव, महेन्द्र यादव, कुंदन यादव मूर्तियों को आकार देने में जुटे हुए हैं.