गधे की सवारी-एक कहानी

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जंगल के रास्ते चलते वक़्त जब बहुत देर हो गयी तो थकान भी महसूस होने लगी अब चलना भी बहुत मुश्किल हो रहा था ऐसा लग रहा था की अब पैर आगे चलने के लिए मना कर चुके है जंगल का रास्ता भी बहुत लम्बा था.

इस बीच कोई भी सवारी मिल जाती तो कितना अच्छा होता मगर यह तो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था अब किया भी क्या जा सकता था अब चलने में ही भलाई थी सो चल पड़े

कुछ दुरी पर चहल कदमी की आवाज सुनिए दी जब बहुत गौर से देखा तो शायद वो कोई लुटेरे लग रहे थे जो राहगीरों को लुटते थे अब उन्हें देख कर तो बहुत ही डर लग रहा था

उनके पास एक गधा था जिसको उन्होंने वही पर बांध दिया और कहने लगे की कुछ दिखाई क्यों नहीं दे रहा है अभी तक यह कोई भी आया नहीं है हमे आज यह से चले जाना है मगर कोई अभी तक आया नहीं है उनमे से एक आदमी पेड़ पर चढ़ गया और देखने लगा

गधा उस रस्सी को छुड़ाने की बहुत ही कोशिश कर रहा था ऐसा लग रहा था की गधा भी उनके साथ नहीं रहना चाहता है इसलिए अपने आप को छुड़ाने की कोशिस कर रहा है

लुटेरे लगा तार देखने में लगे थे उनका गधे पर कोई ध्यान नहीं था गधा छूट गया और चलने लगा अब एक तरकीब सूझी जैसे ही गधा चला तो उसके ऊपर ही बैठने में भलायी है तभी यहां से निकल पाएंगे,

गधे की सवारी पहली बार की जा रही थी तभी उनमे से एक का ध्यान उसी और गया जहां पर गधे से चले जा रहे थे और वो बोले हम क्या लुटेगे वो तो हमारा ही गधा लूट के जा रहा है सभी लोग गधे की पीछे आने लगे जब गधे को पता चला की ये उसे फिर से पकड़ लेंगे तो उसने भी अपनी तेजी दिखाई और बहुत जोर से भागा और सभी लोग पीछे रह गए

अब गांव भी आ गया था और एक गधे ने उसकी जान बचायी कभी-कभी कोई भी चीज काम आ सकती है इसलिए बिलकुल भी कहा नहीं जा सकता की कौन कब काम आ जाये हमे हर चीज की कदर करनी चाहिए