गर्मी के दिन थे। एक फ़क़ीर कहीं पैदल चला जा रहा था। रास्ते में उसे बहुत तेज प्यास लगने लगी। उसके पास पानी नहीं था और आस पास भी कहीं पानी नहीं दिखाई दे रहा था। प्यास के मारे फ़क़ीर की हालात बहुत खराब होने लगी थी। तभी एक बंजारा वहाँ से गुजरा । बंजारे ने फ़क़ीर की हालत देखी तो रुक कर उसे पानी पिलाया और उसकी सेवा की। फ़क़ीर ने बंजारे की सेवा से खुश होकर अपना घोड़ा उसे दे दिया। घोड़ा लेकर बंजारा बहुत खुश हुआ।
घोड़ा बहुत स्वामीभक्त था। बंजारे के पास जाने के बाद भी घोड़ा अपने मालिक को ही याद करता रहा और कुछ ही दिनों में बीमार पड़ गया। वो अपने मालिक से बिछड़ने का ग़म बर्दाश्त नही कर पाया और एक दिन मर गया। बंजारे को घोड़े के मरने का बहुत दुःख हुआ। उसने घोड़े को एक कब्र में दफनाया और कब्र के पास बैठकर ही रोने लगा। तभी उधर से एक आदमी गुजर रहा था। उस आदमी ने सोचा की जरूर यह किसी बहुत बड़े महात्मा की कब्र होगी तभी इतनी बड़ी कब्र है और यह आदमी कब्र पर बैठा रो रहा है, वह आदमी वहाँ रुका और आँखें बंद करके कब्र पर झुक कर प्रार्थना करने लगा। बंजारा उस आदमी को बताना चाहता था की यह तो घोड़े की कब्र है परंतु बंजारे के कुछ बोलने से पहले ही उस आदमी ने अपनी जेब से कुछ पैसे निकाले और कब्र पर चढ़ा दिए। पैसे चढ़ाते देख कर बंजारा चुप हो गया, उसने उस आदमी को पैसे चढाने से नहीं रोका। तभी बंजारे ने सोचा की पैसे कमाने के लिए यह तो सही काम है। बंजारा रोज उस कब्र के पास बैठकर रोता और उधर से निकलने वाले लोग कब्र पर रुपये पैसे चढ़ाते। धीरे धीरे काफी दूर दूर तक यह बात फ़ैल गई की किसी महान आदमी की एक कब्र है और वहाँ पर एक बंजारा भी बैठा रहता है। दूर दूर से लोग वहाँ चढ़ावा चढ़ाने और प्रार्थना करने के लिए आने लगे।
जैसे जैसे समय बीता वह कब्र और प्रसिद्ध होती गई। कुछ सालों बाद कब्र की जगह बहुत बड़ी समाधि बन गई और उस पर बहुत रूपया पैसा चढ़ने लगा जिससे बंजारा बहुत धनवान हो गया।
एक दिन जिस फ़क़ीर ने बंजारे को घोडा भेंट किया था वो उस समाधि के पास से गुजरा। वहाँ के लोगों ने उसे बताया की कब्र के दर्शन किये बगैर मत जाना। फ़कीर वहाँ पहुंचा तो उसने बंजारे को पहचान लिया। उसने बंजारे से पूछा “यह किस की कब्र है और तुम यहाँ बैठे रो क्यों रहे हो?” बंजारा बोला – “बाबा आपसे किया छुपाना, जो घोड़ा आपने दिया था यह उस की ही कब्र है। यह घोड़ा मर कर भी मेरा साथ दे रहा है”। यह सुन कर फ़कीर जोर जोर से हँसने लगा और बोला की इस दुनिया में अंधविस्वास की कमी नहीं है। यह कह कर फ़कीर वहाँ से चला गया और बंजारा इसी तरह घोड़े की कब्र से खूब कमाई करता रहा।