जन्माष्टमी का पर्व आने वाला है और इस त्यौहार को फिर से बहुत ही धूम-धाम से मनाने की तैयारी अभी से होने लगी है। जन्माष्टमी के दिन बहुत से लोग राखी भी मनाएंगे। ऐसे कई लोग होते हैं जो राखी के दिन राखी का त्यौहार ना मनाकर उसे जन्माष्टमी पर मनाते हैं। जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं।
आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ पर भगवान कृष्ण अपनी पत्नी रुक्मणि के साथ कमर पर हाथ रखकर खड़े हैं। एक ऐसा मंदिर जहाँ भगवान अपनी कमर पर हाथ रखकर खड़े हुए हैं। यह मंदिर महाराष्ट्र में है। इस मंदिर में कान्हा अपनी पत्नी के साथ कमर पर हाथ रखकर बहुत ही मंद मुस्कान के साथ खड़े हैं।
इसके पीछे की कहानी कुछ ऐसी है कि भगवान मंदिर में ऐसे अपने भक्त के कहने पर खड़े हुए थे। भगवान कृष्ण के एक भक्त थे पुण्डरीक। वह जिस तरह भगवान कृष्ण की भक्ति करते थे वैसे ही अपने माता-पिता कि सेवा भी करते थे। इस बात से खुश होकर एक बार भगवान कृष्ण उन्हें अपनी पत्नी के साथ दर्शन देने के लिए गए थे। उस समय पुण्डरीक अपने पिता के पैर दबा रहे थे।
उस दौरान अपने पिता की नींद को खराब ना करने के बारे में सोचकर पुण्डरीक ने कान्हा की दी आवाज को सुना और कोई जवाब ना देते हुए अपने पास राखी ईंट उनकी तरफ खिसकाते हुए कहा कि ‘आप थोड़ी देर खड़े रहे मेरे पिता सो जाएंगे तो मैं आपसे बात करूँगा’। उसके बाद कान्हा वहीं खड़े हो गए और पुण्डरीक अपने पिता के पैर दबाने में लीन रहे।
उन्होंने भगवान से कहा कि वह हमेशा के लिए वहीं विराजमान हो जाए और इस बात को भगवान ने मान लिया और वह वहीं विराजमान हो गए। भगवान का वह मंदिर महाराष्ट्र के शोलापुर जिले में स्थित है।