हिन्दू शादी में अनेक रिवाज निभाए जाते हैं। शादी में सबसे महत्वपूर्ण रस्म है अग्रि के सामने सात फेरे लेने की और उससे पहले दूल्हा-दुल्हन के गठबंधन की। दरअसल गठबंधन की रस्म के पीछे हमारे बड़े-बूढों की बहुत गहरी सोच छुपी है।विवाह संस्कार का प्रतीक गठबंधन है। विवाह के समय सात फेरे लेते समय दूल्हे के कंधे पर सफेद टुपट्टा रखकर दुल्हन के साड़ी के पल्लू से बांधा जाता है। यही गठबंधन है।
जिसका अर्थ यह है कि अब दोनों एक दूसरे से जीवन भर के लिए बंध गए। गठबंधन के समय वर के पल्ले में सिक्का, हल्दी, पुष्प, दुर्वा और चावल रखकर गांठ बांधी जाती है।जिसका अर्थ यह है कि धन पर किसी एक का पूर्ण अधिकार नहीं होगा बल्कि खर्च करने में दोनों की सहमति आवश्यक है। पुष्प फूल का अर्थ है कि दूल्हा-दुल्हन जीवन भर एक दूसरे को देखकर प्रसन्न रहें। हल्दी आरोग्यता का प्रतीक है। दुर्वा का अर्थ यह जानना चाहिए कि नव दम्पति जीवन भर कभी न मुरझाये बल्कि दुर्वा की तरह सदैव हरे भरे रहें और चावल का मतलब अन्न यह संदेश देता है कि परिवार और समाज के प्रति सेवाभाव रखें। घर में अन्न का भंडार भरा रहे और कभी कोई भुखा ना रहे।