एक गांव में जानकीनाथ नाम का एक पंडित रहता था वह गांव में सभी के यहां पूजा पाठ और कथा किया करता था वह खाने का बहुत शौकीन था जिनके घर वह जाता था वहां खूब खाता था और अपने घर के लिए भी बांधकर दो-तीन दिन का खाना ले आता था
गांव के ज्यादातर लोग उसे परेशान थे क्योंकि तब इतना नहीं दे पाते थे जितना वह मांगता था उसी गांव में गोपाल नाम का एक आदमी रहता था वह बहुत ही होशियार था एक दिन उसने सभी गांव वालों से कहा कि इस पंडित की आदत से सब परेशान हैं
मैं इसे कल अपने घर बुलाता हूं गोपाल ने पेटू पंडित को अपने घर कथा करने के लिए बुलाया पंडित जी ने शाम को खाना ही नहीं खाया क्योंकि कल उसे गोपाल के घर जाना था और वहां पर भरपेट खाना था गोपाल ने अपनी पत्नी से कहा कि चार पांच लोगों का खाना बनाना क्योंकि परसो पंडित आ रहे हैं
उसकी पत्नी ने बहुत अच्छे-अच्छे पकवान और मीठा बनाया खाने को देखकर पंडित के मुंह में पानी आ गया उसने फटाफट दो-तीन दिन का खाना खा लिया खाना खाने के बाद पंडित अपने घर गया और घर जाकर ना तो उससे लेटा गया ना ही बैठा गया
उसके पेट में ऐसे लगा जैसे पता नहीं क्या भर गया हो गया डॉक्टर के पास गया उसे दवाई दी और कहा अब तुम घर जाकर आराम करो पंडित ने कहा डॉक्टर साहब किसी चीज से परहेज तो नहीं करना है हां एक बात का जरूर ध्यान रखना अब तुम शंख ज्यादा तेज मत बजाना तो फिर तुम पूजा करने के लायक भी नहीं रहोगे