बादशाह अकबर को उनकी न्यायप्रियता व खुशमिजाज़ स्वभाव के लिए जाना जाता है। उनके के दरबार में नौ रत्न थे। बीरबल भी दरबार के नौ-रत्नों में से एक था। कहते हैं बीरबल बड़ा ही हाज़िर जवाब था। उसके पास हर प्रश्न का उत्तर था। कई बार उसके उत्तर ऐसे होते थे कि बादशाह भी बगलें झांकने लगते।
बीरबल सवालों के तत्काल जवाब ही नहीं देता था, बल्कि वह यह भी जानता था कि सामने वाला कौन सा सवाल किस ढंग से करेगा। ये बीरबल के तेज दिमाग का ही कमाल था कि वह एक छोटे से राजा के सलाहकार से सीधे हिंद सम्राट अकबर के दरबार के नौ रत्नों में भी सबसे अनमोल रत्न बना। बीरबल की बुद्धिमानी के कई किस्से हैं।
बादशाह अकबर एक सुबह उठते ही अपनी दाढ़ी को खुजलाते हुए बोले अरे कोई है, तुरंत एक सेवक हाज़िर हुआ। उसे देखते ही बादशाह बोले – जाओ जल्दी बुलाकर लाओ, फौरन हाज़िर करो। सेवक की समझ में कुछ नहीं आया कि किसे बुलाकर लाएं, किसे हाज़िर करें। बादशाह से पलटकर सवाल करने की तो उसकी हिम्मत नहीं थी। उस सेवक ने यह बात दूसरे सेवक को बताई।
दूसरे ने तीसरे को और तीसरे ने चौथे को। इस तरह सभी सेवक यह बात जान गए और सभी उलझन में पड़ गए कि किसे बुलाकर लाएं। बीरबल सुबह घूमने निकले थे, उन्होंने एक सेवक को बुलाकर पूछा क्या बात है, यह भाग दौड़ किस लिए हो रही है। सेवक ने बीरबल को सारी बात बताई और कहा महाराज हमारी रक्षा करें। हम समझ नहीं पा रहे हैं कि किसे बुलाना है। यदि जल्दी बुलाकर नहीं ले गए तो हम पर आफत आ जाएगी। बीरबल ने पूछा यह बताओ कि हुक्म देते समय बादशाह क्या कर रहे थे।
सेवक ने कहा जिस समय मुझे तलब किया उस समय तो बिस्तर पर बैठकर दाढ़ी खुजला रहे थे। बीरबल को तुरंत सारी बात समझ में आ गई और उनके होंठो पर मुस्कान उभर आई। यह सुनकर उन्होंने उस सेवक से कहा- तुम हज्जाम को ले जाओ। सेवक हज्जाम को बुला लाया और उसे बादशाह के सामने हाज़िर कर दिया। बादशाह सोचने लगे, मैंने इसे यह तो बताया ही नहीं था कि किसे बुलाकर लाना है।
फिर यह हज्जाम को लेकर कैसे आ गया। बादशाह ने सेवक से पूछा- सच बताओ। हज्जाम को तुम अपने मन से ले कर आए हो या किसी ने उसे ले आने का सुझाव दिया था। सेवक घबरा गया, लेकिन बताए बिना भी तो छुटकारा नहीं था। बोला, बीरबल ने सुझाव दिया, जहांपनाह। यह सुनकर बादशाह के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।