माता शेरावाली के मंदिरों में आम तौर पर लंबी कतारें लगती हैं भक्त मां की एक झलक पाने के लिए पलकें बिछाएं मां के द्वार तक पहुंचने का इंतजार करते हैं। खास तौर पर अगर माता का वह मंदिर शक्तिपीठ है तो इसकी शान ही अलग हो जाती है।
लेकिन माता के इस शक्तिपीठ तक आप जाना भी चाहें तो शायद ही पहुंच पाएं क्योंकि क्योंकि उस शक्तिपीठ तक पहुंचने के लिए आपको पाकिस्तान सरकार से इजाजत लेनी पड़ेगी। इसका कारण यह है कि यह शक्तिपीठ पाकिस्तान के बलूचिस्तान राज्य में स्थित है।
यहां पास में ही हिंगला नदी प्रवाहित होती है। माता का यह मंदिर हिंगलाज देवी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के चक्र से कटकर यहां पर देवी सती का सिर गिरा था। इसलिए यह स्थान चमत्कारी और दिव्य माना जाता है। पाकिस्तान में मुसलमान देवी हिंगलाज को नानी का मंदिर और नानी का हज भी कहते हैं। इस स्थान पर आकर हिंदू और मुसलमान का भेद भाव मिट जाता है। दोनों ही भक्ति पूर्वक माता की पूजा करते हैं।
हिंगलाज देवी के विषय में पुराण में ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि जो एक बार माता हिंगलाज के दर्शन कर लेता है उसे पूर्वजन्म के कर्मों का दंड नहीं भुगतना पड़ता है। मान्यता है कि परशुराम जी द्वारा 21 बार क्षत्रियों का अंत किए जाने पर बचे हुए क्षत्रियों ने माता हिंगलाज से प्राण रक्षा की प्रार्थना की। माता ने क्षत्रियों को ब्रह्मक्षत्रिय बना दिया इससे परशुराम से इन्हें अभय दान मिल गया।
एक मान्यता यह भी है कि रावण के वध के बाद भगवान राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम ने भी हिंगलाज देवी की यात्रा की थी। राम ने यहां पर एक यज्ञ भी किया था। माता हिंगलाज माता वैष्णों की तरह एक गुफा में बैठी हैं। अंदर का नजारा देखेंगे तो आप भी कहेंगे अरे हम तो वैष्णो देवी आ गए, यह महसूस भी नहीं होगा कि आप पाकिस्तान में हैं।