मुर्ख दोस्त- एक कहानी

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एक बार कुछ दोस्त घूमने के लिए निकले और वह अच्छे दोस्त थे और घूमते हुए जंगल की तरफ जा रहे थे जब सभी दोस्त जंगल में पहुंचे तो उन्होंने अपने खाने के लिए समान निकाला और कहा कि अब हमें खाना खा लेना चाहिए

फिर हम आगे का सफर तय करेंगे क्योंकि शाम तक हमें घर भी पहुंचना है इसलिए पहले थोड़ा सा खाना खा लिया जाए फिर सभी लोग खाना खाकर जैसे उठे तो उन्होंने कहा कि अब हमें इस जंगल में थोड़ी थोड़ी दूरी पर घूमते हुए और आनंद के साथ यात्रा करनी है

फिर सभी लोगों ने अपना सामान उठाया और चलने लगे सबसे पहले ही जब कुछ दूरी पर चले तो उन्होंने कहा कि अब हमें एक दूसरे को देख लेना चाहिए कि कोई कहीं पीछे तो नहीं छूट गया है उनमें से जब एक ने गिनती की तो अपने आपको नहीं गिना बाकी पांचों को गिना और कहा कि हम तो सिर्फ पांच ही हैं

जबकि हम तो छः होने चाहिए इसका मतलब एक दोस्त हमारा कहीं छूट गया है फिर बारी बारी से सभी ने गिनती की लेकिन गिनती करते वक्त वह अपने आपको छोड़कर ही गिनता था और 5 ही निकलते थे इसका मतलब वह समझ गए थे कि एक कहीं ना कहीं छूट गया है

अब हमें उसे ढूंढना चाहिए तो सभी मिलकर उस दोस्त को ढूंढने लगे जब ढूंढते हुए काफी समय हो गया तो मैं थक कर एक जगह बैठ गए और सोचने लगे एक साथी हमारा आया था वह भी हमसे खो गया है अब हम अपने साथी को कैसे ढूंढने गए

तभी वहां से एक आदमी गुजर रहा था उस आदमी को गुजरते देख वहां से एक दोस्त ने पूछा कि क्या आपने हमारे किसी साथी को पीछे देखा है तो उसने कहा मुझे तो कोई दिखाई नहीं दे रहा उसने कहा कि हम 6 लोग चले थे और अब 5 ही है

तब आदमी ने सोचा कि यह तो लगता मुर्ख हैं जबकि 6 यही खड़े हुए हैं फिर उस आदमी ने कहा कि तुम तो पूरे हो लेकिन उसने कहा कि जब भी हम गिनती करते हैं हम 5 ही निकलते हैं तब उस आदमी ने कहा तुम गिनती कैसे करते हो

तब भी वह अपने को छोड़कर बाकी सभी को गिन रहा था तो उस आदमी ने कहा कि ऐसे नहीं गिनते गिनते वक्त अपने आप को भी गिनना चाहिए क्योंकि तुम सभी आपस में दोस्त हैं अब उनकी बात समझ में आ गई कि हम अपने आप को नहीं गिन रहे थे बाकी तो हम सब यही हैं इसलिए कहते हैं कि ज्यादा तेज होना भी बहुत मूर्खता का परिणाम साबित होता है.