उत्तरकाशी। यमुना नदी ही यमुनोत्री मंदिर के लिए खतरा बन गई है। बीते साल यमुना नदी में आई बाढ़ से यमुनोत्री मंदिर के निचले हिस्से में कटाव शुरू हो गया था। अब नदी का बहाव मंदिर की ओर है तो इस कटाव का दायरा भी फैल रहा है। वहीं प्रशासन ने अब तक यहां बाढ़ सुरक्षा के काम पूरे नहीं हो सके हैं।
बीते साल मानसून के दौरान यमुना नदी में आई बाढ़ से यमुनोत्री मंदिर समेत गरमपानी कुंड के निचले हिस्सों में भारी मात्रा में कटाव हो गया था। और नदी का पथ प्रवाह भी मंदिर परिसर की ओर मुड़ गया। ऐसे में मंदिर के निचले हिस्सों में हो रहा कटाव का दायरा भी बढ़ रहा है। ऐसे में नदी में दोबारा बाढ़ आने की स्थिति में मंदिर समेत मंदिर परिसर में स्थित दुकानों, गरम पानी स्नान कुंड को भी भारी नुकसान पहुंच सकता है। वहीं प्रशासन भी यमुना नदी का बहाव दूसरी ओर मोड़ने और मंदिर को सुरक्षित करने में पूरी तरह से फेल रहा है। बीते साल सिंतबर में तत्कालीन जिलाधिकारी ने यमुनोत्री मंदिर का निरीक्षण कर सिंचाई विभाग को दस लाख रुपए जारी कर यहां बाढ़ सुरक्षा कार्य शुरू करवाने के निर्देश दिए थे। नदी के बहाव को मंदिर से दूर करने के साथ ही मंदिर के निचले हिस्से में हुए कटाव का सुरक्षात्मक उपचार करने के लिए सिंचाई विभाग ने अब तक भी कोई काम शुरू नहीं किया। इसके चलते मंदिर परिसर पर खतरा बरकरार है।
वहीं सिंचाई विभाग भी जिला प्रशासन की ओर से जारी किए गए दस लाख रुपए खर्च करने के बाद भी ना तो मंदिर को सुरक्षित कर सकी है ना हीं यमुना का पथ प्रवाह मंदिर से दूर मोड़ सकी है। वहीं अब प्रशासन मंदिर की सुरक्षा को नए सिरे से शुरू करने की तैयारी में है। सिंचाई विभाग ने जारी किए गए दस लाख रुपए खर्च कर दिए है। अभी सुरक्षा कार्य की ओर दरकार है। प्रशासन को भी प्रस्ताव भेजा गया है। बहाव पथ को मोड़ा गया है।