विदेशी भी गया में कर रहे हैं पिंडदान

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गया। पौराणिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण एवं मोक्षस्थली के नाम से प्रसिद्ध बिहार के गया में इन दिनों पितृपक्ष मेला चल रहा है। यहां विदेश से भी आकर लोग अपने पुरखों के लिए श्राद्ध और पिंडदान कर रहे हैं, ताकि पुरखों को मोक्ष मिल सके।

ऑस्ट्रेलिया से आए माइक अपने पिता ब्लाड और माता इलियाना के साथ गया में विभिन्न पिंडवेदियों पर पिंडदान कर रहे हैं। इस दौरान उनके साथ पंडा महेश लाल कर्मकांड के पूरे विधि-विधान से यह कार्य करवा रहे हैं। पंडा महेश लाल कहते हैं कि माइक ने गुरूवार को कूप वेदी से त्रिपिटक कर्मकांड की शुरूआत कर अपने दादा और पूर्वजों का पिंडदान किया और उनके मोक्ष और अपनी सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की।

इलियाना बताती हैं कि उन्हें बताया गया था कि भारत भगवान का घर है। यहां आकर यह सच लगता है कि कण-कण में भगवान बसते हैं। वे बताती हैं कि उनका पुत्र माइक भौतिक शास्त्र की पढ़ाई करता है और उनके पिता इंटीरियर इंजीनियर हैं।

गया आने के बारे में उन्होंने बताया कि कुछ दिनों से माइक मानसिक तौर पर परेशान था। अपने एक दोस्त के सुझाव पर उसने भारत के ही एक ज्योतिषी से कुंडली दिखवाई, जिसमें पितृदोष के उपाय करने की सलाह दी गई। पितृदोष की मुक्ति के लिए गया को सर्वश्रेष्ठ बताया गया। यही कारण है कि वे पूरे परिवार के साथ यहां आए हैं और पिंडदान कर रहे हैं।

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, 15 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष में गया में पिंडदान और तर्पण करने से मृतात्माओं को मोक्ष मिलता है। इसके पूर्व गया में जापान से आई तोमोको मुशिगा ने भी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए विभिन्न पिंडवेदियों पर पिंडदान कर रही हैं। वे पूरे पितृपक्ष के दौरान गया में रहेंगी।