वो कहते हैं ना कि लहरों से डरकर नौका कभी पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। बस, ऐसी ही एक कोशिश की है इटली के एक गांव में रहने वाले लोगों ने। इनका गांव पहाड़ियों के बीच एक ऐसी जगह पर स्थित हैं जहा इन्हें सूरज की रौशनी कभी नसीब ही नहीं हुई। ऐसे में इन लोगों के लिए कई चुनौतियां थीं। लंबे समय तक इस परेशानी से जूझने के बाद गांव के कुछ लोगों ने इस समस्या के निदान के लिए एक कारगर उपाय ढूंढ लिया। इतना ही नहीं अपने हौंसलों की उड़ान भरते हुए इन्होंने अपने गांव के लिए पैदा कर दिया एक अलग ‘सूरज’ । सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा है ना…चलिए बताते हैं इस पूरी प्रेरणादायक किस्से को।
सूरज की किरणों को तरसे थे लोग
ये बात इटली के एक छोटे से गांव विगल्लेना की है। यह गांव मिलान के उत्तरी भाग में 130 किमी नीचे बसा है। यहां के पहाड़ की बनावट ऐसी है कि इस गावं तक कभी सूर्य की किरणें पहुंचती ही नहीं थी। सालों भर यहां के लोग सूर्य की रोशनी देखने के लिए तरस जाते थे लेकिन विगल्लेना गांव के ही एक इंजीनियर और आर्किटेक्चर ने यहां के लोगों की परेशानियां दूर करने करने का उपाय सोचा।
अपनी मेहनत से तैयार किया दूसरा सूरज
उन्होंने मेयर की मदद से करीब एक लाख यूरो जमा किए। इन पैसों से करीब 40 वर्ग किलोमीटर का एक शीशा खरीदा गया और इस शीशे को पहाड़ की दूसरी तरफ 1,100 मीटर की ऊंचाई पर लगाया गया। शीशे को इस तरह से लगाया गया कि जब सूर्य की रोशनी पहाड़ पर सीधी पड़े तो शीशे से परावर्तित होकर वो रोशनी गांव पर पड़े। इस तरह से गांव वालों ने अपने लिए एक नया सूरज बना लिया।