गेहूं फसल की कटाई के बाद उसके अवशेष जलाने से बढ़ जाता है मिट्टी का तापमान

0

इमालवा – रतलाम | उप संचालक कृषि श्री सी.के.जैन ने किसानों से अपील की है कि गेहूं फसल की कटाई के बाद उसके अवशेष (डण्ठल)नहीं जलाएं।जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है एवं फसल उत्पादन का बहुत ही उपयोगी जीवाश्म नष्ट हो जाता है एवं अन्य पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। जिससे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने किसानों से कहा कि गेहूं फसल अवशेष नहीं जलाएं। अवशेष को खड़ी अवस्था में ही जुताई करें जिससे खेत में जीवाश्म बढ़ेगा और मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ेगी।
    उप संचालक कृषि ने किसानो से यह भी अनुरोध किया कि वे फसल उत्पादन का भण्डारण दाने की नमी का परीक्षण करने के बाद ही करें।साथ ही किस्मवार फसल उत्पादन का पृथक-पृथक भण्डारण करें।यदि फसल को बाजार में विक्रय किया जाना हो तो उसका श्रेणीकरण (छनाई-बिनाई) कर विक्रय करें, जिससे किसानों को फसल का अच्छा दाम मिल पाएगा।
    खेत खाली होने पर ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से सलाह से मिट्टी का नमूना लेकर इसकी जांच कराएं। इससे मिट्टी में उपलब्ध तत्वों की जानकारी मिलेगी एवं उसके अनुसार जिन तत्वों की कमी हो वे तत्व देने से लागत मूल्य कम होगा और खेत का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। मिट्टी के नमूने लेने के बाद गहरी जुताई कर खेत को धूप लगने दे।ऐसा करने से इल्ली,कीट आदि सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। अच्छी धूप लगने के बाद मई अन्त या जून के प्रथम सप्ताह में बखरनी कर देशी खाद देकर खेत बोनी के लिए तैयार कर लेना चाहिए। यदि खेत में चूहें व दीमक के घर हों तो समय रहते उनका भी नियंत्रण कर लेना चाहिए। ग्रीष्मकाल का उपयोग मेंढ की साफ-सफाई,मेढबंदी, जलसंवर्धन के लिए नाली निर्माण,भू-नाडेप बनाना,कुओं का जलभरण(रिचार्ज पिट) हेतु संरचना बनाने का काम तथा खेत के निचले भाग पर जलभरण हेतु (रिचार्ज) कुण्डी निर्माण आदि कार्य किया जाना भी किसान भाईयों के लिए लाभकारी रहता है। विस्तृत जानकारी के लिए क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारियों से  किसान सम्पर्क कर सकते हैं।