ड्रग ट्रायल के खिलाफ मुहिम चीप पब्लिसिटी के लिए – डॉ अपूर्व पौराणिक

0

इमालवा – रतलाम |  प्रसिध्द न्यूरोलॉजिस्ट डॉ.अपूर्ण पौराणिक ने ड्रग ट्रायल को लेकर पिछले तीन वर्षो से चलाई जा रही मुहिम को देश के लाखों करोडों मरीजों के लिए अहितकारी बताया है | मुहीम को दवाओं के रिसर्च अभियान पर विपरीत प्रभाव डालने वाली बताते हुए उन्होंने इसे सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए चलाया गया भ्रामक प्रचार भी निरुपित किया।
 

इण्डिय मेडिकल एसो.की स्थानीय शाखा द्वारा आयोजित निशुल्क चिकित्सा शिविर में अपनी सेवाएं देने आए डॉ अपूर्व पौराणिक ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा की इस अभियान को चलाने वाले एक क्रिमिनल बेकग्राउंड के चिकित्सक की संगत में आकर पदमुक्त विधायक पारस सकलेचा चाँद पर थूकने के धंधे में शरीक हो चुके है | डॉ.पौराणिक ने बताया कि ड्रग ट्रायल चिकित्सा विज्ञान का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अंग है। इसके बगैर नई दवाओं पर शोध और उनका निर्माण संभव नहीं है। उन्होने कहा कि  पूरी दुनिया में क्लिनीकल  ड्रग ट्रायल किए जाते है और इससे मरीजों को अत्यधिक लाभ भी होता है।

 डॉ.पौराणिक ने कहा कि पारस सकलेचा जैसे राजनीतिज्ञों और कथित समाजसेवियों के एक वर्ग द्वारा विधिसम्मत व नैतिक रुप से क्लिनीकल ड्रग ट्रायल करने वाले इन्दौर के छ: चिकित्सकों के विरुध्द आधारहीन और मिथ्या दुष्प्रचार किया गया। ऐसा माहौल बनाया गया जैसे इन्दौर के बडे अस्पताल के अलावा पूरे देश और पूरी दुनिया में कहीं भी ड्रग ट्रायल नहीं किए जाते हो।
 
डॉ.पौराणिक ने कहा कि इस प्रकार का दुष्प्रचार किया गया जैसे ड्रग ट्रायल्स से अनेक लोगों की जानें चली गई हो। जबकि वास्तविकता यह है कि एमवाय अस्पताल इन्दौर में हुए ड्रग ट्रायल्स की बदौलत पोलियो,हार्ट अटैक,स्वाईन फ्लू,अस्थमा,पक्षाघात जैसे अनेक असाध्य रोगों के इलाज में बेहतरीन वैक्सीन व औषधियों के विकास में मदद मिली है।
 डॉ.पौराणिक ने उदाहरण देते हुए बताया कि पोलियो के सकल उन्मूलन में उत्तरी भारत के कुछ जिले बाधक बन रहे थे। इन जिलों में पोलियो मिट नहीं पा रहा था। एम.वाय. अस्पताल में विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी प्रतिष्ठित संस्था के माध्यम से पोलियो के टीके के नवीन और श्रेष्ठ स्वरुप का अध्ययन परीक्षण किया गया। इस नए टीके की वजह से पिछले दो वर्षों में पोलियो का एक भी नया प्रकरण सामने नहीं आया है और सम्पूर्ण भारत अब पोलियो मुक्त होने की स्थिति में आ गया है।
 
डॉ.पौराणिक ने कहा कि ड्रग ट्रायल के विरुध्द किए गए भ्रामक और झूठे प्रचार के कई दुष्परिणाम सामने आए है। इसकी वजह से चिकित्सा शोध में कमी आई है। मध्यप्रदेश में नए क्लिनीकल ट्रायल पर रोक लगी है तथा भविष्य में इसके आने की संभावनाएं घट गई है। उन्होने कहा कि पूरे विश्व में लगभग सवा लाख क्लिनीकल ड्रग ट्रायल होते है और इनमें से भारत में मात्र दो हजार ट्रायल होते है। मध्यप्रदेश में तो शायद सौ से भी कम ट्रायल होते थे। मध्यप्रदेश अन्य राज्यों की तुलना में वैसे ही पीछे था। इस दुष्प्रचार के चलते अब और भी पिछड जाएगा। डॉ.पौराणिक ने कहा कि हमारे यहां ड्रग ट्रायल्स होने से नए शोध का लाभ हमारे मरीजों को जल्दी और कम कीमत पर मिलता था,लेकिन अब इस पर रोक लगने से इस तरह का लाभ मिलना तो दूर नई दवाईयां देरी से और महंगे दामों पर मिलेगी। इससे मरीजों को भारी नुकसान हुआ है।
 
डॉ.पौराणिक ने कहा कि उनके साथ जिन अन्य चिकित्सकों ने क्लिनीकल ड्रग ट्रायल किए थे,वे पूरी तरह नैतिक और विधिसम्मत तरीके से किए थे। इनमें किसी प्रकार की कोई अवैधानिकता नहीं की गई थी। मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री ने म.प्र. विधानसभा में भी उक्त आशय का वक्तव्य दिया था कि सारे ट्रायल कानूनी और एथिकल थे। म.प्र. पुलिस की आर्थिक अनुसन्धान शाखा ने सघन जांच के बाद यह माना था कि इसमें किसी प्रकार की कोई अनियमितता नहीं हुई और इसमें कोई अपराध नहीं बनता है।
 
डॉ.पौराणिक ने कहा कि वे रतलाम की माटी में पढ लिख कर बडे हुए है। उन्हे इस बात से भारी दुख पंहुचा कि रतलाम के जनप्रतिनिधि रहे पारस सकलेचा ने पिछले तीन वर्षों से डॉ.पौराणिक व उनके साथियों के विरुध्द झूठा,मनगढन्त प्रचार अभियान चलाया। डॉ.पौराणिक ने बताया कि श्री सकलेचा के इस झूठे अभियान के शुरुआती दिनों में उन्होने श्री सकलेचा से व्यक्तिगत रुप से मुलाकात कर उन्हे सारे तथ्यों की जानकारी दी थी। लेकिन इसके बावजूद श्री सकलेचा ने अपना अभियान जारी रखा। उनका लगातार प्रयास रहा कि डॉ.पौराणिक के विरुध्द आपराधिक प्रकरण दर्ज हो और उके खिलाफ मुकदमा चले,वे जेल जाए। डॉ पौराणिक ने कहा कि औषधि शोध के अपने कार्य पर उन्हे गर्व है  कि उन्होने शोध में योगदान दिया।
 
डॉ पौराणिक ने पारस सकलेचा पर आरोप लगाते हुए कहा कि श्री सकलेचा नहीं चाहते कि डॉ पौराणिक मेडिकल कालेज इन्दौर के छात्रों को अपनी अध्यापन योग्यता से लाभान्वित करे और एमवाय अस्पताल में आने वाले गरीब रोगियों को अपने ज्ञान से लाभान्वित करें। पारस सकलेचा ने डॉ पौराणिक की शासकीय नौकरी पर प्रश्न लगाए और मेडिकल डिग्री छिनवाने के भी प्रयास किए।
डॉ पौराणिक ने पत्रकारों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि यह संभव है कि श्री सकलेचा ने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए इस तरह का भ्रामक प्रचार किया। यह भी संभव है कि अन्तर्राष्ट्रिय दवा निर्माता कम्पनियों की आपसी होड में किए जाने वाले षडयंत्रों का हिस्सा बनकर श्री सकलेचा ने उक्त मुहिम चलाई हो।