इमालवा – रतलाम | पश्चिमी मध्य प्रदेश के सबसे शांत और मालवा की मिठास लिए हमारे रतलाम शहर के बारे में देश की एक ख्यातनाम पत्रिका ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है | इस रिपोर्ट में रतलाम को समलैंगिक लोगों का शहर बताकर हमारी सभ्यता का भरपूर मजाक बनाया गया है | शहर के एक नेता कम डाक्टर ने भी थोथी पब्लिसिटी के लिए इस रिपोर्ट की तस्दीक की है | रिपोर्ट के अंश जस के तस प्रस्तुत है क्या आप इससे सहमत है | नहीं तो अपनी प्रतिक्रिया अवश्य देवें |
प्रस्तुत है इस कथित रिपोर्ट के अंश ————–और इस रिपोर्ट की हैडिंग है …………………..फूहड़ता के शहर में कामोत्तेजना की खुशी.
चोरी-छिपे लड़कों से मिलने वाले समलैंगिक लोगों से लेकर गंदे क्यूबिकल्स में हार्डकोर पोर्न देखने वाले 13 वर्ष तक के लड़कों तक. दो बत्ती मार्केट के एक साइबर कैफे वाले ने इसकी तस्दीक की. मध्य भारत का यह उनींदा शहर अपनी कामेच्छा से हैरान करता है.
जिला सरकारी अस्पताल में एचआइवी/एड्स के नोडल अधिकारी डॉ. अभय अयोहरी के पास पिछले दो साल में कम-से-कम 900 ऐसे मामले आए हैं जिसमें किसी मर्द ने दूसरे मर्द से यों सम्बन्ध बनाए हैं. इसकी वजह वे शहर का अफीम वाले इलाके के पास होना बताते हैं. ‘‘मालवा क्षेत्र में रतलाम, मंदसौर और नीमच को जोडऩे वाले हाइवे पर कई एकड़ में वैध तरीके से अफीम की खेती की जाती है. ड्रग लेने वाले लोगों को अक्सर जबरन समलैंगिक गतिविधियों में लपेट लिया जाता है.’’
साइकिल की दुकान चलाने वाले 40 वर्ष के सन्नी रामलीला में अभिनय भी करते हैं. उन्हें 18 वर्ष की उम्र में पता चला कि वे समलैंगिक हैं. दो बच्चों के पिता सन्नी का दावा है कि उनके करीब 150 ‘‘दोस्त’’ हैं और वे स्कूली बच्चों की तरह इस इंतजार में रहते हैं कि किसी का घर ऐसे काम के लिए मिल जाए.
इस शांत शहर का इम्तियाज अली की 2007 में आई फिल्म जब वी मेट में एक फूहड़ शहर के रूप में मजाक उड़ाया गया था. पर एक सांध्य दैनिक के ब्यूरो चीफ पवन शर्मा गृह नगर की अय्याश छवि को खारिज करते हैं. ‘‘इस तरह की गतिविधियां शहर से 35 किमी दूर नीमच के पास हाइवे पर ही केंद्रित हैं जहां सेक्स वर्कर सड़क के किनारे खड़े रहते हैं.’’
पर एक स्थानीय एनजीओ ‘समर्पण’ के विट्ठल राव बेले बताते हैं कि घरेलू नौकरानियों में एचआइवी के मामले बढ़ते जा रहे हैं. सर्वे के मुताबिक रतलाम में यों फंतासी को सचाई में बदलने वाले लोगों का प्रतिशत सबसे ज्यादा (95) है.