रतलाम जिले में भाजपा की आंतरिक गुटबाजी आई सतह पर

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इमालवा – रतलाम | स्थानीय भाजपा संगठन के प्रमुख पदों पर जनाधार विहीन नेताओं की ताजपोशी का खामियाजा पार्टी को भुगतने की जो आशंकाए जताई जा रही थी, वे अब सच होकर सामने आने लगी है | संगठन चुनाव के बाद जिले भर में भाजपा की आंतरिक गुटबाजी अब सतह पर आ गयी है |

रतलाम महापौर के खिलाफ पार्टी के एक दर्जन पार्षदों के त्यागपत्र देने का मामला अभी  सुलझा भी नहीं था | की एक और ताजा मामला नगर निगम अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के रूप में सामने आ गया है। हालांकि यह अविश्वाश प्रस्ताव कांग्रेस ने पेश किया है लेकिन राजनैतिक गलियारों में चर्चा है की यह भाजपा की आंतरिक गुटबाजी का ही नतीजा है | नगर निगम गलियारों में चर्चा है की महापौर और अध्यक्ष दोनों एक दुसरे को निपटाने में लगे है और इसका फायदा कांग्रेस उठाएगी |

विगत विधानसभा चुनाव में जिले की पाच में से चार सीटे गवानें के बाद यह कयास था की इससे पार्टी के नेताओं को सबक मिलेगा और स्थिति बदलेगी लेकिन सब कुछ गवानें के बाद भी जिले में पार्टी नेताओं की आपसी लड़ाई अभी तक नहीं थम सकी है |

प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भले ही यह सोच ले की उन्हें तीसरी दफा प्रदेश की जनता चुनेगी लेकिन यह अच्छा होगा की वे रतलाम जिले से ज्यादा उम्मीदे न लगाएं |क्योकिं यहाँ अभी भी पिछले चुनावों से अच्छे हालात नहीं है |पार्टी के शीर्ष नेताओं के मध्य जारी वर्चस्व की लड़ाई के कारण पार्टी का साधारण कार्यकर्ता भी बहूत ही निराश है | कार्यकर्ता कहने लगे है की पार्टी संगठन की जिले की ईकाई में जिस तरह जनाधार विहीन लोगो को पदों की रेवड़ियां बाटी गई उसका खामियाजा पार्टी को उठाना ही पडेगा |

वैसे तो पार्टी में जिले से लगाकर संभाग स्तर तक संगठन मंत्रियों की भी तैनाती है, लेकिन भाई साहब पायं लागू की संस्कृति के कारण अपेक्षित नतीजे नहीं मिल पा रहे है | पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का आकलन है की चाटुकारों की जय जयकार की गूंज में सामान्य कार्यकर्ताओं की आवाज जब हर स्तर पर अनसुनी की जाने लगती है तो विद्रोह की स्थिति बनती ही है |

वैसे तो भाजपा के लिहाज से रतलाम जिले को बहूत ही मजबूत कहा जा सकता है पार्टी नेता यदि एक हो जाए तो पाच में से कम से कम तीन सीटो पर पार्टी उम्मीदवारों को सफलता मिल सकती है | लेकिन पार्टी के वर्तमान हालातो पर यदि प्रदेश नेतृत्व ने ध्यान नहीं दिया तो फिर कार्यकर्ताओ के अकेले के दम पर कुछ नहीं हो सकेगा |