उधर न्यायालय ने किया विधायक सकलेचा को पद से free इधर निकल रही रैलियाँ

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इमालवा – रतलाम | रतलाम में राजनैतिक रैलियों का अपना एक अलग ही अंदाज रहता है | जोश – खरोश और उत्साह से भरी रैलिया अक्सर चुनाव के समय या राजनैतिक नियुक्ति के अवसर पर निकाली जाती है | लेकिन अभी चुनाव का मौसम नहीं होने के बावजूद विगत दो दिनों से रेलिया निकल रही है और इससे रतलाम का राजनैतिक तापमान गरमा गया है | 

शनिवार को शहर के कालिकामाता प्रांगण से निकली रैली ने तो पिछली कई रैलियों के रिकार्ड ध्वस्त कर दिए है | निर्दलीय विधायक के निर्वाचन को शून्य घोषित किए जाने के निर्णय को रतलाम की जनता की जीत निरुपित करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने यह रैली निकाली थी | रैली ने सम्पूर्ण शहर को भाजपामय कर दिया | इसके बाद शहर के नाहरपुरा चौराहे पर एक सभा का आयोजन भी हुआ | 

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी हिम्मत कोठारी पर भ्रष्टाचार के अनगिनत आरोप लग रहे थे | इन आरोपों ने शहर की फिजा को बदल कर रख दिया था | भाजपा प्रत्याशी इन आरोपों का खंडन ही करते रह गए थे | जनमानस को उद्वेलित करने वाले इन आरोपों के कारण भाजपा का प्रचार अभियान सुरक्षात्मक हो गया था | इसी कारण आरोपों की बौछार से घिरे भाजपा प्रत्याशी अंतत : चुनाव हार गए थे |

इस हार के बाद भाजपा बिखरी तो नहीं लेकिन पार्टी का आम कार्यकर्ता निराश और हताश हो गया था | पिछले चार वर्षो में पार्टी ने नगर निगम का चुनाव जीतकर बढ़त भी बनाई , लेकिन इसके बावजूद पार्टी कार्यकर्ता आक्रामक तेवर में नहीं आ पाए थे |  इस माहोल को बदला शुक्रवार को इंदौर से चलकर आई एक खबर ने | जैसे ही रतलाम विधायक के निर्वाचन को शून्य घोषित किये जाने का माननीय उच्च न्यायालय का निर्णय पुष्ट खबर बना वैसे ही भाजपा कार्यकर्ताओं ने दीवाली मनाना शुरू कर दिया था | भाजपा के तमाम कार्यकर्ताओं में इस खबर ने उत्साह का संचार किया और इसके परिणाम स्वरूप शुक्रवार और शनिवार दो दिनों में दो बड़ी रैलिया निकल गई है |

रैली के बाद शहर के नाहरपुरा चौराहे पर सभा का आयोजन भी हुआ जिसमे पार्टी नेता हिम्मत कोठारी ने चुनाव याचिका दायर करने के निर्णय का औचित्य बताते हुए कहा कि सामान्यतया चुनाव में मतदाताओं के निर्णय को वे सर्वोपरि समझते आए है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी उन्होने मतदाताओं के निर्णय को हृदय से स्वीकर किया था। लेकिन भाजपा के अन्य साथियों का कहना था कि चुनाव प्रचार के दौरान लगाए गए भ्रष्टाचार के झूठे आरोपों का यदि जवाब नहीं दिया गया तो ये झूठे और मनगढन्त आरोप ही सच मान लिए जाएंगे। आरोपों का झूठ सामने लाने के लिए ही उन्होने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर श्री सकलेचा को चुनौती दी थी कि या तो वे अपने आरोपों को सिध्द करें या फिर न्यायालय उनके विरुध्द कार्यवाही करें।