उपचुनाव के लिए 21 नवंबर को मतदान होगा। प्रचार का दौर 19 नवंबर की शाम 5 बजे तक चलेगा। इस मियाद को देखते हुए रविवार को प्रचार एकदम तेज हो गया। लाउड स्पीकर लगी गाड़ियां दिनभर घूमती रहीं। शाेर ने लोगों की छुट्टी के आराम में खलल डाल दिया। कई लोगों ने दैनिक भास्कर को फोन कर अपनी परेशानी बताई। भास्कर ने इसको लेकर पड़ताल की तो सामने आया प्रशासन ने 55 डेसीबल से ज्यादा आवाज नहीं करने पर प्रतिबंध लगाया है लेकिन खुद प्रशासन के पास ही ध्वनि प्रदूषण मापने का कोई इंतजाम नहीं है।
शर्त- 1: स्कूल, कॉलेज, धार्मिक स्थल, अस्पताल, न्यायालय परिसर और शासकीय कार्यालयों की 100 मीटर की परिधि में ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग नहीं किया जाए।
हकीकत : बिना रुके हर जगह लाउड स्पीकर से प्रचार हो रहा है। कहीं कोई रोकने वाला नहीं।
शर्त -2 : यंत्र में 55 डेसीबल से कम आवाज का उपयोग होना चाहिए।
हकीकत : मापने का कोई साधन नहीं है, इसलिए सभी तेज आवाज में प्रचार कर रहे हैं।
शर्त -3 : प्रचार के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करना होगा।
हकीकत : विस्तृत निर्देश क्या हैं, यह राजनीतिक दलों को पता ही नहीं है।
शर्त -4: रात 10 बजे के बाद ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग प्रतिबंधित रहेगा।
हकीकत : रात 10 बजे बाद इसका उपयोग नहीं हो रहा है।
शर्त -5 : प्रचार वाहन का बीमा, फिटनेस प्रमाण-पत्र, वाहन चालक की जानकारी आदि भी देना होगी।
हकीकत : लाउड स्पीकर तांगों में भी लगे हैं, इनका फिटनेस व चलाने वाले का बीमा ही नहीं है।
बहरेपन का खतरा
सामान्य व्यक्ति की सुनने की क्षमता 0 से 20 डेसीबल तक होती है। इससे ज्यादा तेज आवाज लगातार सुनने से कान के भीतरी अंगों पर असर पड़ता है। लगातार 55 डेसीबल से ज्यादा ध्वनि प्रदूषण होने के कारण लोगांे में बहरापन आ सकता है। डॉ. बीआर रत्कनार, नाक,कान,गला रोग विशेषज्ञ
सुनील झा, एसडीएम शहर
और जिम्मेदार अफसरों के ये हैं जवाब…
हमारे पास आवाज मापने का कोई यंत्र नहीं है : सीएसपी
55 डेसीबल से ज्यादा आवाज मापने की क्या व्यवस्था है?
हमारे पास आवाज मापने का कोई यंत्र नहीं है। केवल अनुमान के आधार पर ही काम करते हैं। अब तक कितनी कार्रवाई की है? क्या सब कुछ नियम से चल रहा है?
तेज आवाज वाले वाहनों के चालकों को चेतावनी दी। कुछ में कार्रवाई भी की।
हम आदेश जारी करते हैं, पालन पुलिस करवाती है : एसडीएम
अनुमतियों में जो शर्तें हैं, उनका पालन कैसे होगा?
हमारा काम आदेश जारी करना है, पालन कराना पुलिस का काम है।
आवाज 55 डेसीबल से ज्यादा नहीं रखने के भी आदेश हैं क्या ?
यह काम पुलिस का है, उन्हें ही आदेश लागू करवाना है।
क्या किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं हो रहा है?
आप पुलिस के किसी अधिकारी से पूछिए।
और ये है राजनीतिक दल की सफाई
हम तो पहले ही सीमित संसाधनों में चुनाव लड़ रहे हैं : कांग्रेस
हम तो शुरुआत से ही सीमित संसाधनों से चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी ने पहले ही तय कर लिया था कि चुनाव प्रचार ऐसे तरीकों से किया जाएगा जिनसे हमारी बात भी लोगों तक पहुंच जाए और उन्हें परेशानी भी नहीं हो। प्रमोद गुगालिया, कांग्रेस, मीडिया प्रभारी
लाउड स्पीकर का उपयोग उतना ही जितना जरूरी है : भाजपा
हमारे वाहनों की संख्या वैसे भी कम है। इस बार पार्टी ने सीधे मतदाताओं से रूबरू होने का लक्ष्य रखा था। हमारे कार्यकर्ता भी घर-घर दस्तक दे रहे हैं। लाउड स्पीकर का उपयोग उतना ही किया गया जितना अत्यावश्यक था। शैलेंद्र डागा, भाजपा, रतलाम शहर चुनाव प्रभारी।