चित्तौड़गढ़, नीमच को सीधे इंदौर से जोड़ने वाले क्यू ट्रैक के काम में अब बारिश ने अड़ंगा लगा दिया है। ट्रैक के जिस भाग में ट्रेन गोेल घूमती है, वह मिट्टी वाला इलाका है। बारिश के कारण कीचड़ होने से मटेरियल पहुंचना बंद हो गया है। इस कारण ट्रैक का काम लगभग बंद है। ट्रैक से होकर जाने वाले सामान से ही छोटा-मोटा काम चल रहा है।
रतलाम से धौंसवास तक लगभग 5.1 किमी का क्यू ट्रैक बनकर तैयार है। रेल मंडल के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ने अर्थ वर्क पूरा कर लिया है। वर्तमान में ट्रैक की फिनिशिंग की जा रही है। सीआरएस दौरे के लिए ट्रैक की ड्रेसिंग करने के साथ छोटी-मोटी कमियों को ढूंढ़कर दूर किया जा रहा है। ट्रैक में आ रहे एक मेजर और 10 माइनर ब्रिज की रंगाई-पुताई भी हो गई है। रेलवे ने इंजिन चलाकर टेस्टिंग भी कर ली है। यानी नीमच की ओर से आने वाली ट्रेन सीधे इंदौर की तरफ जा सकती है। इंतजार है तो बस सीआरएस की हरी झंडी का।
लगातार टल रहा दौरा- सीआरएस का दौरा टलता जा रहा है। रेलवे को उम्मीद थी इस सप्ताह दौरे की तारीख मिल जाएगी लेकिन सीआरएस के सेंट्रल रेलवे में व्यस्त होने से ऐसा नहीं हो पाया। 25 जून तक सीआरएस सेंट्रल में रहेंगे। उसके बाद क्यू ट्रैक के निरीक्षण का प्रोग्राम तय होगा।
धौंसवास स्टेशन की तीनों लाइन को प्लेटफॉर्म 1, 2, व 7 से जोड़ा
अर्थ वर्क पूरा होने के बाद रेलवे ने धौंसवास स्टेशन की तीनों लाइनों को रतलाम के प्लेटफॉर्म 7 और नए बने 1 व 2 से जोड़ दिया है। धौंसवास के प्लेटफॉर्म 2 की लाइन को रतलाम के प्लेटफॉर्म 7 से सीधा जोड़ा है। धौंसवास स्टेशन की मुख्य लाइन जो रतलाम के प्लेटफॉर्म 7 वाली लाइन से जुड़ा था, उसे सीधा क्यू ट्रैक से कनेक्ट कर दिया है।
गलती पकड़ी तो होगी बदनामी
सीआरएस दौरे को देखते हुए रेलवे क्यू ट्रैक में कोई कमी बाकी नहीं रखना चाहता है। यही वजह है कि डिप्टी चीफ इंजीनियर देवराज, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर खुर्शीद आजम सहित ट्रैक से संबंधित इंजीनियर लगातार निरीक्षण कर रहे हैं। सीआरएस द्वारा एक भी गलती पकड़ लेने पर क्यू ट्रैक तो अटकेगा ही रेलवे की बदनामी भी होगी।
जीएम की गाइड लाइन से 2 माह लेट हो चुका काम
पश्चिम रेलवे महाप्रबंधक जीसी अग्रवाल ने क्यू ट्रैक तैयार कर चालू करने के लिए रेलवे को सिंहस्थ से पहले 15 अप्रैल तक का समय दिया था। यह समय निकले दो माह से ज्यादा हो गए। फिर भी ट्रैक से रेल यातायात शुरू नहीं हो पाया। बार-बार की अड़चनों के बाद दिसंबर 2015 में ट्रैक के काम ने फिर गति पकड़ी थी। रेलवे 12 करोड़ खर्च कर रहा है। पीआरओ जेके जयंत का कहना है सीआरएस का दौरा होना बाकी है। क्यू ट्रैक कंपलीट हो गया है। सीआरएस की हरी झंडी मिलते ही रेल यातायात शुरू कर देंगे।