समय का लक्षण है बीतना। चातुर्मास लगा और पूर्ण हो गया। यह बीते हुए समय में हमने क्या किया, इसकी बैलेंस शीट मिलाने का समय है। यह चिंतन करो कि इस चातुर्मास में मैं जो धर्माराधना नहीं कर सका, वह अब करूंगा। इसे पूर्ण करना व आराधना निरंतर करते रहना है। अब तक जो सुना उस पर चिंतन करना, उसे सहेज कर रखना, उस पर चलना व उसमें वृद्धि करते रहना।
यह बात नौलाईपुरा स्थानक में संयतमुनि ने वर्षावास पूर्ण होने पर कही। श्री धर्मदास जैन श्री संघ में संयतमुनि, हेमंतमुनि, जयंतमुनि, गिरीशमुनि ठाणा-4 के सान्निध्य में विभिन्न धर्म आराधनाएं हुईं। संयतमुनि ने कहा जैसे गाय चारा खाकर उसकी जुगाली करती है, वैसे हमने भी जो सुना है उसकी जुगाली करना, उस ज्ञान कोे पचाना, उसे अंतर में उतारना है। हेमंतमुनि ने कहा संत आते हैं और चले जाते हैं। गुरु का सान्निध्य व हमारा पुरुषार्थ हमें लक्ष्य तक पहुंचा देता है। मन में श्रद्धा हो तो संतो का विहार हो जाए तो भी धर्मश्रद्धा बनी रहती है। श्रीसंघ प्रवक्ता ललित कोठारी व पवनकुमार कांसवा ने बताया संयतमुनि से पुष्पा-बसंतकुमार मेहता व कैलाशबाई-बापूलाल सकलेचा ने आजीवन शीलव्रत नियम व शांताबाई राठौड़ ने आजीवन एकासन तप का नियम लिया। सभा में विशिष्ट तपाराधक मनोज मोदी, संभव मूणत व आराधना के लिए चयन झामर, सुहास गांधी, शैलेष पीपाड़ा, पवनकुमार कांसवा, राजेंद्र मांडोत का श्रीसंघ ने अभिनंदन व विभिन्न लाभ लेने वालों का बहुमान किया। सभा में श्री धर्मदास गण परिषद के महामंत्री शांतिलाल भंडारी, श्रीसंघ के महामंत्री अरविंद मेहता, सचिव नरेंद्र गांधी, उपाध्यक्ष अशोक चतुर आदि ने विचार व स्तवन प्रस्तुत किए। संचालन अणु मित्र मंडल के महामंत्री राजेश कोठारी ने किया।