रतलाम. पानी के लगातार दोहन से जिले का जलस्तर तेजी से घट रहा है। एक महीने में ही यह डेढ़ मीटर तक नीचेचला गया है। इसका असर हैंडपंप, नलकूप और तालाबों पर हो रहा है और ये सूखने लगे हैं। अभी बारिश में एक महीने का समय है। इससे आगे स्थिति खराब हो सकती है।
यह स्थिति तब है जब जिले में औसत से ज्यादा बारिश हुई है। जिले की औसत बारिश का आंकड़ा 35.2 इंच है। जिले में 43 इंच बारिश हुई जो 8 इंच ज्यादा है। इस हिसाब से जिले में इस बार जलसंकट नहीं गहराना था। लेकिन लगातार दोहन से जलस्तर कम हो रहा है। भूजल सर्वेक्षण इकाई के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पानी का दोहन सबसे ज्यादा अप्रैल में हुआ। इस दौरान सभी तहसीलों में 1.5 मीटर तक जलस्तर गिरा है।
सबसे ज्यादा जलस्तर जावरा का गिरा है। यहां 2.7 मीटर तक पानी नीचे चला गया है। जावरा के बाद पानी दोहन में रतलाम का नंबर आता है। यहां एक महीने में 1.47 मीटर नीचे पानी गया है। जिले में सूख चुके हैं 68 तालाब तालाबों का जलस्तर भी लगातार गिर रहा है।
जिले में 72 तालाब में से 68 तालाब सूख गए हैं। जिन तालाबों में पानी बचा है वो भी काफी कम है। इससे जल संसाधन विभाग भी चिंतित है। विभाग के एसडीओ रजनीकांत झामर ने बताया भीषण गर्मी और पानी के लगातार दोहन से तालाब सूख रहे हैं। धोलावड़, डेरी सहित चार डेम में पानी बचा है।
कोलवाखेड़ी डेम सूखा
मांगरोल में स्थित कोलवाखेड़ी डेम पर्याप्त बारिश केबाद भी इस बार सूख गया है। ग्रामीणों ने बताया 20 साल पहले यह तालाब बना था। इसकेबाद सेहमेशा इसमेंपानी रहता है। यह पहला मौका हैजब डेम सूख गया है।
जलस्तर गिरने की ये है वजह
-रुक-रुक कर बारिश ना होनेकी बजाय एक साथ बारिश होना। पानी जमीन मेंनहीं जाना। {पानी का लगातार दोहन होना।
– किसानों द्वारा गेहूंसहित अन्य ज्यादा पानी वाले फसलें लेना।
– लगातार ट्यूबवेल खनन के लिए कोई नियम नहीं होना। अब तो जागरूक होना पड़ेगा
”भूजलस्तर लगातार गिर रहा है। इसको लेकर हमेंजागरूक होना होगा। लोगों को पानी बचाना चाहिए। जागरुकता और मितव्ययता से पानी का उपयोग कर हम जलसंकट से अच्छे से निपट सकते हैं।”सुधीर बेलसरे, ईई, संभागीय भू जल सर्वेक्षण इकाई