रतलाम। फैक्टरियों और गल्ला व्यापारियों का माल बाहर भेजने और नहीं भेजने को लेकर मामला जीएसटी में उलझकर रह गया है। व्यापारियों से ट्रांसपोर्टर जीएसटी के बिल मांग रहे हैं। उधर व्यापारी भी ट्रांसपोर्टरों से जीएसटी के बिल मांग रहे हैं। ऐसे में मामला पेचिदा हो गया है।
लगभग ठप जैसी स्थिति
दोनों तरफ का व्यापार लगभग ठप जैसी स्थिति में हो गया है। सबसे ज्यादा परेशानी उन छोटे ट्रांसपोर्टरों के सामने आ गई है जिनका छोटा व्यापार है। सूत्र बताते हैं कि फैक्टरियों और गल्ला व्यापारियों के यहां गाडिय़ां लगाने वालों के सामने यह समस्या सबसे प्रमुख रूप से सामने आने पर माल का लदान और परिवहन नहीं हो पा रहा है।
30 के पहले के माल का बिल
कुछ व्यापारी जीएसटी के टैक्स से बचने के लिए 30 जून या इसके पहले की तारीख में माल की अपने यहां की बिल्टी बनाकर ट्रांसपोर्टरों को थमा रहे हैं। ऐसे में ट्रांसपोर्टर भी हाथ खड़े करने लगे हैं क्योंकि 30 के बाद यदि वे आज परिवहन करते हैं तो इतने दिन माल रखने का हिसाब वे कहां से देंगे। अपने गोदाम में रखने का बताएं तो जीएसटी उन्हें भरना पड़े और नहीं बताएं तो पुराने बिल होने से पैनल्टी भुगतना पड़ेगी। दोनों ही स्थिति में नुकसान की आशंका से दोनों पक्ष डरे हुए हैं।
20 लाख तक की छूट
सालाना 20 लाख तक के टर्नओवर करने वाले व्यापारियों को जीएसटी से छूट दी गई है जबकि ट्रांसपोर्ट व्यवसाय जीएसटी से मुक्त रखा गया है। ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों ने भी जीएसटी और एसटी नंबर के लिए आवेदन कर रखा है तो वह नंबर आने में अभी समय लग रहा है। ऐसे में वे जीएसटी की बिल्टी नहीं दे पा रहे हैं तो माल का लदान भी नहीं हो पा रहा है। फैक्टरियों में तो साफ कर दिया कि जीएसटी की बिल्टी होने पर ही माल का लदान करवाएंगे वरना माल नहीं भरने देंगे।
कुछ व्यापारी कर रहे हैं गड़बड़ी
कुछ व्यापारी 30 जून या इसके पहले के बिल बनाकर माल की लदान करवाने की बात करते हैं। यह संभव नहीं है और न ही यह संभव है कि जब जीएसटी की के नंबर नहीं आए तो बिल्टी पर नंबर कैसें लिखें। वैसे भी सरकार ने तीन माह की शिथिलता दी है तो इन तीन माह का हिसाब कैसे रखें यह समझ नहीं आ रहा है। कुल मिलाकर ट्रांसपोर्ट व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
प्रदीप छिपानी, सचिव, रतलाम ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन