शहर से निकलने वाले कचरे से जनवरी में खाद बनने लगेगी। जुलवानिया ट्रेंचिंग ग्राउंड में प्लांट लगाने की तैयारी प्रारंभ हो गई है। ट्रेंचिंग ग्राउंड स्थित टीन शेड के पास लगने वाले प्लांट से रोजाना 10 टन कचरे से 1000 से 1500 किलो तक खाद बनाई जाएगी। नगर निगम ने इसकी जिम्मेदारी इंदौर की बायोकेमिकल कंपनी को दी है। प्लांट में पानी की सप्लाई के लिए नलकूप खनन करने के बाद फिलहाल अर्थ वर्क किया जा रहा है। जनवरी प्रथम सप्ताह तक प्लांट तैयार हो जाएगा। कुछ दिन की टेस्टिंग के बाद खाद बनाने की प्रोसेस शुरू कर दी जाएगी। इसके बदले निगम हर माह 1.98 लाख का भुगतान करेगा, जबकि बनने वाली खाद न्यूनतम मूल्य पर किसानों व अन्य जरूरतमंदों को दी जाएगी।
ऐसे बनेगी खाद
- इसमें प्लास्टिक वेस्ट को पहले ही छांटकर अलग कर दिया जाएगा।
- कचरे को धोकर क्रशर से बारीक करेंगे।
- खाद बनाने के लिए इसमें बायो कल्चर व अन्य कुछ केमिकल मिलाए जाएंगे।
- 10 टन क्षमता वाले प्लांट से रोज 15 से 20 प्रतिशत खाद उत्पादन होने लगेगा।
खर्च कंपनी वहन करेगी
ट्रेंचिंग ग्राउंड में शहर से निकलने वाले कचरे के निष्पादन के लिए बायोकेमिकल प्लांट लगा रहे हैं। यह इंदौर की कंपनी लगाएगी। इंफ्रास्ट्रक्चर निगम उपलब्ध कराएगा। संचालन व रखाव खर्च कंपनी वहन करेगी। एसके सिंह, कमिश्नर
प्लेटफॉर्म बनाकर देंगे
सिटी इंजीनियर सुरेश व्यास ने बताया की प्लांट में रोज 1000 लीटर पानी की जरूरत होगी। इसके लिए ट्यूबवेल करवाया है। बिजली व्यवस्था निगम करेगा, इन दोनों के महीने का खर्च कंपनी उठाएगी। फिलहाल कंपनी से छह माह का करार किया है, जिसे दो साल तक के लिए आगे जा सकेगा। सॉलिड वेस्ट क्लस्टर शुरू होने के बाद प्लांट की जरूरत नहीं रह जाएगी।