रतलाम। वायरस के अटैक के कारण जिले में टमाटर की फसल खराब हो गई है। आवक कम होने से 30-40 रुपए किलो बिकने वाला टमाटर 60 रुपए किलो तक बिक रहा है। पिछले साल लहसुन-प्याज मंडी में इन दिनों 100 कैरेट टमाटर की आवक होती थी। इस साल अभी 50 कैरट ही आवक हो रही है। किसानों के अनुसार बारिश के बाद टमाटर में वायरस लग गया।
इससे फसल खराब होने लगी। पत्ते जल गए हैं, टमाटर झड़ गया है। कीटनाशकों का छिड़काव किया लेकिन फायदा नहीं हुआ। टमाटर के अंदर इतनी गर्मी है कि वह मूल रूप से बदल चितकबरा दिखने लगता है। ऐसे में इसे बाहर ले जाना संभव नहीं क्योंकि बाहर ले जाते वक्त खराब हो जाता है।
तीतरी, मथुरी, कलमोड़ा, नोगांवा व पलसोड़ा में टमाटर की अच्छी खेती होती है। इन क्षेत्रों में इस बार हालात खराब हैं। मिर्ची की आवक नहीं हो रही। ऐसे में मिर्ची राजस्थान से आ रही है। वहीं किसानों का कहना है कि इसलिए कई किसानों ने टमाटर को बीच में छोड़कर प्याज की खेती पर ध्यान देना शुरू कर दिया था और प्याज की आवक जमकर हो रही है।

कुआं झागर के कालूराम जाट ने बताया 7 बीघा में टमाटर लगाया था। इस बार उत्पादन 75 प्रतिशत कम हो गया है। जहां रोज 100 कैरेट टमाटर होता था वहां 25 कैरेट का उत्पादन हो रहा है। लगातार 7 बीघा में 3 से 4 लाख की कीटनाशक का छिड़काव किया तब उपज हो रही है। कालूराम के बेटे दिलीप ने बताया मोहन पाटीदार ने 2 बीघा और अनोखी लाल पाटीदार ने 3 बीघा में टमाटर लगाया था जो लगभग खत्म हो चुका है।

कम आवक के चलते बढ़े भाव, और भी बढ़ने के आसार

कम आवक के चलते टमाटर अभी 50 – 60 रुपए किलो बिक रहा है। हर सब्जी मंडी में अलग-अलग भाव हैं। व्यापारियों की मानें तो भाव आगे और बढ़ेंगे क्योंकि स्थानीय फसल खराब हो गई है और टमाटर का आयात महाराष्ट्र से हाेगा। ट्रांसपोर्टेशन व्यय के चलते कीमतें बढ़ेंगी।

जिले में 1800 हेक्टेयर में होता है टमाटर का उत्पादन

जिले में 1800 हेक्टेयर भूमि पर टमाटर का उत्पादन होता है इसमें 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर टमाटर पैदा होता है। इस बार 75 प्रतिशत नुकसान होने से उत्पादन 60 से 75 क्विंटल के करीब हुआ है। कर्ल लीफ नाम के वायरस से फसल नष्ट हुई है। इस वायरस को 100 प्रतिशत खत्म करने वाली सटीक कीटनाशक नहीं है। ये वायरस तापमान बढ़ने-घटने वाली स्थिति में पैदा होते हैं। अार एस कटारे, उद्यानिकी विभाग

वायरस का नहीं है कोई इलाज

कला एवं विज्ञान महाविद्यालय की वनस्पति विभाग की अध्यक्ष डॉ. वृंदा गुप्ता ने बताया जिस तरह मनुष्य में वायरल बीमारियां होती हैं, वैसे ही पौधों में वातावरण का प्रभाव पड़ता है। फसल को बचाने के लिए वायरस की चपेट में आए पौधे को उखाड़कर मिट्टी में दबा देना चाहिए ताकि दूसरे पौधों को नुकसान न हो। इस बार टमाटर में वायरस ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया। बदलते मौसम और प्रकृति में हो रहे निरंतर असंतुलन के चलते कई तरह के वायरस फैल रहे हैं।

पिछले साल 80 से 400 रुपए कैरेट बिका था

व्यापारियों के अनुसार पिछले साल की तुलना में टमाटर इस बार महंगा है। मंडी में जहां पिछले साल 80 से 400 रुपए प्रति कैरेट माल बिका था, इस साल 200 से 500 रुपए कैरेट भाव है।

By parshv