रतलाम। न तार, न मीटर, फिर भी हर महीने औसत बिल 3 हजार रूपए। नगर निगम बगैर कोई शिकायत के इसे भरता रहा। वह भी पूरे 10 वर्षोँ तक। मामला शहर के 6 ट्रैफिक सिग्नल का है। किसी जनप्रतिनिधि की न नजर गई, न किसी अधिकारी की। बाद एक कर्मचारी को पता चला तो उसने आवाज उठाई तब जाकर बिजली कंपनी ने बिल भेजने बंद किए। अब निगम ने पुरानी राशि वापस मांगने के लिए बिजली कंपनी को पत्र लिखा है।
शहर में अलग-अलग चौराहों पर यातायात विभाग के सिग्नल लगे हैं। 10 वष्ाü से अधिक हो गए, सभी सिग्नल खराब पडे हैं। पिछले माह ही 6 में से 1 सिग्नलशुरु किया गया। इसके बाद भी बिजली वितरण कंपनी हर माह प्रत्येक सिग्नल का 500 रूपए बिल भेजती रही और नगर निगम उसको भरता रहा।
6 वर्ष से सिग्नल गायब, फिर भी भरा बिल
हैरानी की बात तो यह कि कॉलेज रोड पर 6वर्षपहले रोड चौड़ा करने के समय सिग्नल हटा दिया गया। तब से यहां सिग्नल लगाया ही नहीं गया। इसके बाद भी निगम बिल भरता रहा। यह राशि अब लाखों में पहुंच गई है।
ऎसे लगी रोक
असल में बार-बार कंपनी से पत्र आता था कि सिग्नल के कुछ रूपए शेष्ा चल रहे हैं, इसलिए उनको तुरंत भरा जाए। जब यह पत्र निगम की बिजली शाखा के तत्कालीन प्रभारी नागेश वर्मा को मिला तो उन्होने कंपनी के कार्यालय जाकर पूछा कि जो बिल आया, उसका मीटर कहां लगा है व बिजली के तार कहां हैं, यह बताओ। इसका जवाब कंपनी के अधिकारी नहीं दे पाए। इसके बाद जब सारे मामले की जानकारी जनकार्य समिति प्रभारी अरूण राव को मिली तो उन्होने महापौर व आयुक्त को बताया। इसके बाद यह निर्णय किया कि निगम राशि वापस मांगने के लिए पत्र लिखेगा।
पत्र लिखकर मांगी है राशि
यह जानकारी सामने आई कि सिग्नल बंद हैं व बगैर मीटर व तार के बिल आ रहे थे। इनको भरा भी गया। जानकारी सामने आने के बाद जमा राशि वापस मांगने के लिए बिजली वितरण कंपनी को पत्र लिखा है।
-डॉ. सुनीता यार्दे, महापौर
पहले नियम देखे जाएंगे
जनप्रतिनिधि मांग करने के लिए स्वतंत्र हैं। कंपनी के नियम देखे जाएंगे। इसके बाद तय किया जाएगा कि राशि लौटाने का प्रावधान है या नहीं।
– संजय जैन, अतिरिक्त अधीक्षण यंत्री म.प्र. बिजली वितरण कंपनी (शहर संभाग)