रतलाम में फेरों के ठीक पहले दो दूल्हे दहेज नहीं लेने के लिए अड़ गए। समाजजन की समझाइश के बाद भी नहीं माने। इसके बाद दहेज नहीं लेने के लिए 8वां फेरा लिया और बगैर दहेज के दुल्हनों को ले गए। जो मेहमान दहेज में देने के लिए घरेलू सामान लाए थे उन्हें भी वापस लौटा दिया।
- रतलाम से 20 किमी दूर शिवपुर में बलाई समाज के शंभुलाल पानोला की दो बेटियों की शादी शुक्रवार रात हुई। पिता की मौत 15 साल पहले हो गई थी।
- बड़ी बेटी मोनिका की शादी आलोट के पास रानीगांव में दशरथ मकवाना से हुई। छोटी बहन शिवानी की शादी उज्जैन के नायन गांव के ओमप्रकाश सोंलकी से हुई। शुक्रवार को दोनों बहनों की बरात आई।
- फेरों के समय दोनों दूल्हे एक साथ बोले- “हमें दहेज नहीं चाहिए। एक बर्तन भी हम दहेज में नहीं लेंगे।” यह सुनकर मेहमान ताज्जुब में रह गए।
- करीब आधे घंटे तक रिश्तेदारों द्वारा समझाइश का दौर चला, लेकिन दोनों दूल्हे नहीं माने। सात फेरे लेने के बाद दोनों दूल्हों ने पंडित से बोलकर दहेज न लेने का 8वां फेरा भी कराया।