महू-नीमच फोरलेन पर नामली के पास 14 अक्टूबर को हुए बस हादसे के मामले में रतलाम में आरटीओ रहे विवेक दाते के खिलाफ शासन स्तर से कार्रवाई होगी। एडीएम के जांच प्रतिवेदन के बाद कलेक्टर बी. चंद्रशेखर ने बस को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने वाले आरटीआे दाते के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है। वे फिलहाल गुना में पदस्थ हैं। एडीएम की जांच से यह साफ हा़े गया कि दुर्घटनाग्रस्त बस को मार्च 2016 में फिटनेस जारी करते समय तय नियमों का पालन नहीं किया गया था।

नामली के पास पानी से भरी खदान में ममता ट्रेवल्स की बस गिरने से 14 लोगों की मौत हो गई थी। कलेक्टर बी. चंद्रशेखर ने एडीएम विनय कुमार धोका की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय कमेटी बनाकर फिटनेस सर्टिफिकेट जारी होने और बस की स्थिति की जांच कराई थी। जांच प्रतिवेदन में खुलासा हुआ कि बस को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने के दौरान तय प्रोफार्मा पूरी तरह से नहीं भरा गया था। इस प्रोफार्मा को भी जांच समिति ने जब्त किया है। बस को फिटनेस सर्टिफिकेट मार्च 2016 में जारी हुआ था, उस पर तत्कालीन आरटीओ विवेक दाते के हस्ताक्षर हैं। कलेक्टर के अनुसार दाते के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य शासन को पत्र भेजा है। कलेक्टर के अनुसार बस हादसे के समय आरटीओ रहे वी.एस. यादव का काम भी संतोषजनक नहीं पाया गया। उन्हें समय-समय पर बसों की आकस्मिक जांच करना थी। यादव को भी रतलाम से हटा दिया है। उनके स्थान पर झाबुआ आरटीओ राजेश गुप्ता को रतलाम का प्रभार सौंपा है। वी.एस. यादव को पिटोल बैरियर पर पदस्थ किया है।

दाते ने बचने की कोशिश भी की

नामली बस हादसे के बाद पूर्व आरटीओ विवेक दाते ने अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश भी की थी। उन्होंने रतलाम आरटीओ वी.एस. यादव को एक पत्र भेजा था जिसमें उल्लेख किया गया था कि एसडीएम ग्रामीण नेहा भारती ने भी 18 मई 2016 काे इस बस की जांच की थी। अनियमितता पाए जाने पर बस को पुलिस के नियंत्रण में सौंपा गया था। 19 मई को बस संचालक से 7 हजार शुल्क भी वसूला। बस के फिटनेस संबंधी कोई टीप नहीं डली थी और बस की स्थिति संतोषप्रद बताई थी। हालांकि अब गुना आरटीओ विवेक दाते मामले पर बात ही नहीं करना चाहते हैं। भास्कर से उन्होंने कहा- मैं इस विषय पर अब कोई सफाई नहीं देना चाहता।

कलेक्टर ने भेजे ये सुझाव

जिलास्तर पर बसों या अन्य यात्री वाहनों की तकनीकी जांच के लिए विशेषज्ञ पदस्थ नहीं होने मैकेनिकल जांच ठीक से नहीं हो पाती है। जिले में एक तकनीकी विशेषज्ञ पदस्थ होना जरूरी है।

फिटनेस सर्टिफिकेट जारी होने की प्रक्रिया में नियम कई हैं लेकिन इनका पालन हो रहा है या नहीं, इसे क्रॉस चैक करने की व्यवस्था नहीं है। इसे ठीक किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने भी यात्री वाहनों के लिए गाइड लाइन जारी की है, इसका भी पालन अमले की कमी के कारण नहीं हो पा रहा है। जिले में वाहनों की संख्या के मान से अमला पदस्थ होना जरूरी है।

By parshv