नोटबंदी के बाद से किसानों को उपज के सही दाम नहीं मिलने, नीलगायों से खड़ी फसलों को नुकसान की भरपाई की मांग रखने के लिए सोमवार को जिला किसान कांग्रेस की अगुवाई में शहर में विरोध रैली निकाली गई। प्रमुख मार्गों से होते हुए रैली कलेक्टर कार्यालय पहुंची, यहां किसानों ने धरना दिया। मांगें दोहराई और फिर डिप्टी कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। खास बात यह रही कि रैली में जिला कांग्रेस अध्यक्ष को छोड़कर ग्रामीण के लगभग सारे ही कांग्रेस नेता शामिल हुए।

दोपहर 1 बजे बाजना बस स्टैंड से विरोध रैली शुरू हुई। कांग्रेस का झंडा लिए किसानों का समूह नारेबाजी करता हुआ शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरा। दोपहर 2.15 बजे विरोध रैली कलेक्टर कार्यालय पहुंची। किसान कांग्रेस अध्यक्ष रामचंद्र धाकड़, सांसद पुत्र विक्रांत भूरिया, शहर अध्यक्ष विनोद मिश्रा, जिपं उपाध्यक्ष डी.पी. धाकड़, वरिष्ठ नेता संजय दवे, शांतू पहलवान गवली, ब्लॉक अध्यक्ष जगदीश पाटीदार, राजेश योगी, मंसूर अली पटौदी, परसराम पारगी, मंडी डायरेक्टर सविता भाभर, मंगल पाटीदार ने संबोधित किया। इस दौरान किसान कांग्रेस के सदस्य कलेक्टर कार्यालय में ही बैठे रहे। इसके बाद डिप्टी कलेक्टर अनिल भाना को किसानों की समस्याओं व मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपा।

नोटबंदी व नीलगाय की समस्या को लेकर किसान कांग्रेस व किसानों ने कलेक्टोरेट कार्यालय के बाहर बैठकर किया प्रदर्शन फिर ज्ञापन सौंपा।

सांसद कांतिलाल भूरिया के बाद अब उनके बेटे विक्रांत भूरिया ने भी उनकी बात दोहराई है। बयान दिया है- पार्टी के जो लोग पार्टी के ही आंदोलन और कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो रहे हैं, वे पद से जाएंगे। निष्क्रिय रहने वालों की पार्टी में कोई जगह नहीं है, यही वजह है कि शहर की पूरी कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया है। सांसद पुत्र बोले- कार्यकारिणी भंग करने का आदेश जल्द ही पीसीसी से जारी हो जाएगा। विक्रांत भूरिया सांसद प्रतिनिधि के रूप में सोमवार को रतलाम में किसान कांग्रेस के आंदोलन में शामिल हुए। दोपहर बाद उन्होंने एक पत्रकारवार्ता में आंदोलनों में शामिल नहीं हाेने वाले कांग्रेसियों के खिलाफ कार्रवाई संबंधी बयान दिया। यह पत्रकार वार्ता नोटबंदी से हुए नुकसान पर पार्टी की बात आम लोगों तक पहुंचाने के लिए आयोजित की गई थी। पीसीसी के निर्देश पर आयोजित वार्ता में भूरिया ने कहा- नोटबंदी स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है। इसके कई उदाहरण भी सामने आए हैं। नोटबंदी के बाद से अब तक 115 लोगों की इसी कारण से माैत हुई, 135 बार नियम बदले गए, जितने भी लोग कालेधन के साथ पकड़े गए अधिकांश का संबंध भाजपा के साथ निकला।

By parshv