एक और प्रशासन प्राण वायु अभियान चला रहा है और गांव-गांव पौधारोपण कर रहा है। वहीं दूसरी ओर लोक निर्माण विभाग पेड़ों को अस्थायी अतिक्रमण मान लोगों को इन्हें हटाने के लिए नोटिस जारी कर रहा है।

लुनेरा में रतलाम से धानासुता रोड पर सीमेंट-कांक्रीट सड़क बन रही है। सड़क के आसपास लगे पेड़ों को हटाने के लिए विभाग ने लोगों को नोटिस जारी किए। इसमें पांच दिन में पेड़ों को हटाने को कहा है। नहीं हटाने पर कार्रवाई होगी। लोगों के सामने समस्या है कि पेड़ काटना गैर कानूनी है। ऐसे में इन्हें हटाते तो एफआईआर दर्ज हो सकती है।

इन पेड़ों को माना अतिक्रमण
पीडब्ल्यूडी ने पीपल, नीम, इमली, गुलमोहर, शीशम सहित अन्य पेड़ों को अतिक्रमण माना है, ये पेड़ 20 साल से भी ज्यादा पुराने हैं।

प्रहलाद पोरवाल, शांतिलाल पोरवाल, रामप्रसाद पाटीदार ने बताया 25 साल से ज्यादा पुराने पेड़ हैं। इन्हें हमारे माता-पिता और दादा-दादी ने लगाया है। लोक निर्माण ने तो इन्हें अतिक्रमण मान कर हटाने के नोटिस जारी कर दिए लेकिन हम इन पेड़ों को कैसे हटा सकते हैं। हमने तो बड़ी मुश्किल से इन्हें बढ़ा किया है। यदि काट देंगे तो हम पर एफआईआर हो जाएगी।

लोग इसलिए हैं असमंजस में
पेड़ों को काटने के लिए अनुमति लेना जरूरी है। इसमें काटने का कारण बताना होता है। इसके बाद उसी किस्म के पांच पेड़ लगाने होते हैं। इसमें उन्हें लगाने का स्थान बताना होता है। इसके बाद अनुमति जारी की जाती है। यहां लोक निर्माण विभाग ने लोगों को ही नोटिस जारी कर दिए। अब लोग पेड़ नहीं काट रहे हैं। वहीं बगैर अनुमति काटेंगे तो उन्हें सजा हो सकती है। ऐसे में लोग असमंजस में है।

नोटिस में ये है लिखा
लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री एम. के. सक्सेना की ओर से जारी नोटिस में लिखा है कि उपरोक्त विषयांतर्गत लेख है कि आपके द्वारा लुनेरा में मकान, गुमटी, दुकान, पेड़ लगाकर अस्थायी अतिक्रमण कर रखा है। यह निर्माणाधीन सीमेंट कांक्रीट सड़क के लिए बाधक है। अत आपको निर्देशित किया जाता है कि आपके द्वारा शासकीय सड़क की भूमि पर किए गए अतिक्रमण को पांच दिन में हटा लें, नहीं तो आपके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और अर्थदंड वसूला जाएगा।

जुर्माने के साथ हो सकती है सजा
पेड़ों को बचाने के लिए सरकार ने वृक्ष परिरक्षा अधिनियम 2001-2002 लागू किया है। इसमें पेड़ काटने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर की जाती है। इसके बाद मामला सिविल कोर्ट भेजा जाता है। जहां पांच हजार रुपए का जुर्माने के साथ सजा भी हो सकती है।