भगवान का ध्यान करने का सरल साधन सत्संग ही है। मानव शरीर हमारे कर्मों के कारण नहीं भगवान की करुणा के कारण मिला है। 84 लाख योनियों में केवल मानव शरीर ही है जिससे हम ज्ञान, भक्ति और कर्म मार्ग से मोक्ष प्राप्त कर सकते हंै।

यह बात सिमलावदा में भानपुरा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री दिव्यानंद तीर्थ ने कही। उन्होंने कहा सत्संग से विवेक की प्राप्ति होती है। हमें ज्ञान होना चाहिए, हमारी 24 घंटे कौन मदद कर रहा है। जिसके कारण हम भोजन कर पा रहे हंै। हमारे जन्म से पहले माता वक्ष के स्तन में जिसने दूध भेजा था। वहीं परमात्मा आज भी हमारी उदर पूर्ति कर रहा है। इसलिए भगवान का एक उत्कृष्ट नाम कृपालु भी है। अभा रामायण मेला आयोजन समिति के तत्वावधान में 36वें रामायण मेला एवं सिमलावदा में द्वितीय मेले का विश्राम शुक्रवार को हुआ।

समिति ने संतों का शॉल, श्रीफल व पुष्पमाला से सम्मान किया। सिमलावदा मेला संयोजक सुरेश पाटीदार, शंभुसिंह पंवार, ताराचंद पाटीदार, बाबूलाल झामट, प्रकाश पाटीदार, हरीश चंद्र परमार आदि मौजूद थे। संचालन महेश द्विवेदी ने किया। सिमलावदा में मेले के विश्राम के बाद शुक्रवार को डेलनपुर में रामायण मेले का शुभारंभ किया गया।