शासन किसानों की आय दोगुनी करने के कई दावे कर रहा है लेकिन इधर हर साल सोयाबीन की फसल के उत्पादन मे गिरावट आ रही है जिसे लेकर न शासन ध्यान दे रहा है और न प्रशासन। भूमि की उर्वरक शक्ति लगातार घट रही है लेकिन किसी ने मिट्टी परीक्षण तक नहीं किया।

रतलाम से सिर्फ 5 किमी दूर बाजनखेड़ा के किसानों के सामने इस बार नई समस्या आ गई है। सोयाबीन के पौधों की वृद्धि नहीं हो रही है। फसल लगाए 40 दिन हो गए लेकिन पौधे मे चार-पांच पत्तियां, एक-दो फूल के अलावा कुछ नहीं लगा। स्थिति देखते हुए लगता है कि एक बीघा पर 50 किलो उत्पादन निकलना भी मुश्किल है जबकि एक बीघा मे 30 किलो बीज डाला है। ऐसे में मुनाफा होगा या नहीं कहना मुश्किल है।

बाजनखेड़ा के जानकार किसानों के अनुसार सोयाबीन में लगातार जहरीले कीटनाशक के उपयोग, मिट्टी परीक्षण नहीं होना, कृ़षि विभाग से उचित जानकारी नहीं मिलने के कारण फसलों की वृद्धि नहीं हो रही है। जमीन में ज्यादा पानी सहन करने की क्षमता भी नहीं रही। इसका असर फसलों पर देखने को मिल रहा है।