रतलाम। जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को ठीक करने के लिए कलेक्टर बी.चंद्रशेखर बुधवार दोपहर मरीज बनकर अस्पताल पहुंच गए। उन्हें ऑपरेशन थियेटर में गंदगी मिली। चूहे चहलकदमी और कबूतर गूटर गूं करते मिले। यह हाल देख उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने प्रभारी नर्स को जमकर लताड़ लगाई। मरीजों को दवा नहीं मिलने की शिकायत पर सिविल सर्जन डॉ. आनंद चंदेेलकर को आड़े हाथ लिया। तीन कर्मचारियों की विभागीय जांच के आदेश दिए।कलेक्टर दोपहर 1.15 बजे जिला अस्पताल पहुंचे। यहां सुरक्षागार्ड को बाहर खड़ा कर वे ओपीडी की पर्ची बनवाने काउंटर पर पहुंच गए। उन्होंने खुद का नाम अनिल बताया और पर्ची कटवाई। मरीजों की संख्या व अन्य जानकारी ली। वाटर कूलर के पास गंदगी मिली। यहां से वे इमरजेंसी रूम पहुंचे। यहां डॉ. मोहित भटेवरा मिले। कम डॉक्टर होने का पूछा तो डॉ. भटेवरा ने बताया ओपीडी का समय हो गया।
डॉक्टरों की नेम प्लेट बनाने के निर्देश देते हुए वे ऑपरेशन थियेटर पहुंचे। यहां हॉल के भीतर जैसे ही पहुंचे तो कबूतर गूटर गूं करता मिला। स्ट्रेचर पर दवाइयां व इलाज संबंधी सामान रखा था। चूहे इधर-उधर घूम रहे थे। कलेक्टर ने कहा यह सामान रखने की जगह है। ओटी के अंदर गंदगी है। साफ-सफाई भी ठीक नहीं थी। पूरी ओटी अस्त-व्यस्त थी।साहब न इलाज मिल रहा न दवाई –
इलाज के इंतजार में बैठी मुखर्जी नगर निवासी कृष्णाबाई (60) से कलेक्टर ने परेशानी पूछी तो वे रोने लगीं। उन्होंने बताया सुबह 10 बजे से बैठी हूं। दवा बाजार से खरीदकर लानी पड़ी। डॉक्टर ठीक से देखते तक नहीं। इसके बाद वे दवा वितरण कक्ष में पहुंचे और दवाओं का रिकॉर्ड खंगाला।
कंपाउडर ओपी वर्मा से दवा न मिलने का कारण पूछा। उन्होंने बताया तीन दिन से बी कॉम्पलेक्स नहीं है। डॉक्टर को बता दिया था। इसके बाद भी दवा लिखी गई। जब उनसे पूछा अभी कितनी दवाएं हैं तो उन्होंने कहा 200 प्रकार की दवाएं हैं। इस बीच सिविल सर्जन डॉ. आनंद चंदेलकर ने बताया हमारे पास 147 प्रकार की दवाएं हैं। इनमें से एक-दो नहीं हैं। मल्टी विटामिन की दवा 30 अप्रैल से नहीं है। कलेक्टर ने स्टॉक रजिस्टर देखा तो उसमें मानसिक रोगियों के इलाज में काम में आने वाली दवा एमीटोटीपलीन 25 एमजी 1 अप्रैल से खत्म मिली। यह दवा तीन माह से अस्पताल में नहीं है। कलेक्टर ने पाया 60 फीसदी दवाओं की कमी है। इनकी खरीद में रुचि भी नहीं ली गई।यह आपराधिक कृत्य है, इस्तीफा दो –
काउंटर पर दवाएं न मिलने पर कलेक्टर ने कहा मरीजों को एक महीने से दवाएं नहीं मिल रही हैं। यह आपराधिक कृत्य है। इस पर स्टोर कीपर कृष्ण पंवार और क्रय समिति के राजेंद्र चौहान को बुलाया।
चौहान तो सामने आए ही नहीं। पंवार ने कहा आग लगने से दवाएं खत्म हो गईं। कलेक्टर ने कहा कब तक आग का राेना रोते रहोेगे। आग लगने के मामले में तो तुम्हीं दोषी हो न। पंवार ने दोषी होने से इनकार किया तो कलेक्टर ने कहा दोषी नहीं तो जिम्मेदार तो हो। इस पर उन्होंने हां कहा। कलेक्टर ने कहा दोषी पर कार्रवाई की जाती है। जिम्मेदारी के मामले में इस्तीफा देना पड़ता है। तुम इस्तीफा दे दो।
पंवार ने इस पर भी इनकार किया तो कलेक्टर ने कहा ठीक है जांच के बाद तुम्हें हटा दूंगा। दवा न मिलने के मामले में कंपाउंडर वर्मा, स्टोर कीपर पंवार व क्रय समिति का काम देखने वाले चौहान की भूमिका की विभागीय जांच के निर्देश दिए।
आप क्या देखते हो –
डॉ. चंदेलकर को उन्होंने आड़े हाथों लेते हुए कहा आप कैसे संभालोगे अस्पताल। ऐसा हाल मैंने आज तक किसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का नहीं देखा जैसा जिला अस्पताल का है। आपको पता ही नहीं कितनी दवा खत्म हो चुकी हैं। कैसे सुधार आएगा। एक दिन पहले ही कलेक्टर ने 9 कर्मचारियों पर कार्रवाई की थी। कलेक्टर के सख्त रवैये से डॉक्टरों व कर्मचारियों के होश उड़े हुए हैं।कौन खाता है यहां मूंगफली :
ओटी की अंदरूनी व्यवस्था देखकर कलेक्टर बाहर हॉल में आए तो ओटी इंचार्ज नर्स बी तोरगड़े दिख गईं। कलेक्टर ने पूछा यहां मूंगफली कौन खाता है। चूहे पाल रखे हैं ओटी में। पूरी ओटी में गंदगी है। क्या अपनी बेटी का ऑपरेशन भी ऐसे में ही कराओगी। मरीजों को संक्रमण हो जाएगा। मर जाएंगे लोग। ओटी के बाहर प्रोटोकॉल लिखने और व्यवस्थाओं को सुधारने के निर्देश देकर वह बाहर निकले।