रतलाम। भागमभाग भरी जिंदगी में किसी के पास समय नहीं कि वह दूसरों की मदद करे। ऐसे में शहर में कुछ लोग ऐसे हैं जो दूसरों की सेवा को अपना धर्म मानते हैं। हर दिन ये लोग गरीबों को रोटी-सब्जी बांटते हैं। यह सिलसिला बरसों से चला आ रहा है। एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब इनके यहां से गरीब काे रोटी ना मिले।
मुंबई में देखा तो सोचा हम भी ऐसा कर सकते हैं–
बजाज खाना निवासी महेंद्र मालवी करीब 20 वर्षों से गरीबों को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं। मालवी कहते हैं 20 साल पहले मुंबई गए थे तो देखा कि कुछ लोग शाम को कारों से आकर गरीब व असहाय लोगों को भोजन बांटते हैं। वहीं से प्रेरणा मिली और घर आकर गरीबों को भोजन उपलब्ध कराना शुरू कर दिया। रोज उनके घर से सुबह 9 बजे गरीबों को रोटी-सब्जी वितरित की जाती है। खाना पहले उनकी पत्नी बनाती थी लेकिन अस्वस्थ होने के कारण अब एक महिला को उन्होंने खाना बनाने की जिम्मेदारी दी है। महिला घर से खाना बनाकर लाती है और इसके बाद मालवी उसे वितरित करते हैं। रोज 35-40 लोग यहां भोजन के लिए आते हैं। जब परिवार को कहीं बाहर जाना होता है तो वे ससुर के यहां से भोजन वितरित करने की व्यवस्था करते हैं।
40 साल पहले एक पैकेट से की थी शुरुआत :
जनक हॉस्पिटल संचालक प्रेमचंद्र मांगीलाल मित्तल 40 साल से रोज गरीबों को रोटी-सब्जी बांटते हैं। मित्तल बताते हैं करीब 40 साल पहले डालूमोदी बाजार में उनकी इलेक्ट्रिक की दुकान थी। एक दिन गरीबों को रोटी उपलब्ध कराने का ख्याल आया। इसके बाद एक पैकेट से शुरुआत की। तब से अब तक यह सिलसिला जारी है। अब वे रोज 40 लोगों को भोजन के पैकेट बांट रहे हैं। इसमें चार रोटी व सब्जी दी जाती है।
भोजन उनके घर से बनकर अस्पताल आता है और रोज 1 बजे वितरित होता है। मित्तल कहते हैं कि वे तीन भाई हैं। शुरुआत में घर की महिलाएं ही भोजन के पैकेट तैयार करती थीं। बाद में संख्या बढ़ी तो एक महिला से रोटी बनवाई जाती है। घर की महिलाएं सब्जी व अन्य तैयारियों में साथ देती हैं। जब घर में कोई कार्यक्रम हो या परिवार को बाहर जाना हो तो पहले से इंतजाम कर लेते हैं। मित्तल के भाई अरुण मित्तल, डॉ. रमेश मित्तल व बेटा डॉ. अचल अग्रवाल भी साथ देते हैं।