सकलेचा के खिलाफ चुनाव याचिका दायर करने वाले पूर्व मंत्री व मप्र वित्त आयोग अध्यक्ष हिम्मत कोठारी ने गुरुवार को मीडिया को राष्ट्रपति के फैसले की जानकारी दी। मामला 2008 के विधानसभा चुनाव से जुड़ा है।
भाजपा प्रत्याशी और पूर्व मंत्री हिम्मत कोठारी के खिलाफ पारस सकलेचा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। कोठारी यह चुनाव हार गए थे। चुनाव प्रचार में लगाए आधारहीन आरोपों को लेकर कोठारी ने हाईकोर्ट में सकलेचा के खिलाफ चुनाव याचिका दायर की। मार्च 2013 में हाईकोर्ट ने सकलेचा के निर्वाचन को शून्य करार देते हुए उन्हें 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया।
कोर्ट में कोठारी ने साबित किया कि आरोप आधारहीन हैं। इस फैसले के खिलाफ सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने ही भारत निर्वाचन आयोग को निर्देश दिए थे कि वे राष्ट्रपति से सकलेचा को चुनाव के लिए अयोग्य घोषित करने के बारे में फैसला लें। आयोग के पत्र पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 29 मई 2015 को सकलेचा को एक साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया। फैसले में उल्लेख किया गया है कि यह फैसला प्रकाशन दिनांक से एक साल के लिए मान्य होगा। लिहाजा यह अवधि 19 फरवरी 2017 तक रहेगी। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ पारस सकलेचा द्वारा दायर अपील सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
यह लगाए थे आरोप
प्रचार के दौरान सकलेचा ने कोठारी पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने गैर वाजिब तरीके से करोड़ों रुपयों की संपत्ति अर्जित की है। बेंगलुरू में सात सितारा होटल, मुंबई में करोड़ों रुपए कीमत की संपत्ति है। सकलेचा ने यह आरोप भी लगाया था कि कोठारी ने गृह मंत्री रहते हुए प्रदेश पुलिस के लिए डंडे और बंदूकों की खरीदी में भ्रष्टाचार किया।