ग्रामीण क्षेत्र की कला, स्थानीय ऐतिहासिक स्थान और प्राचीन महत्वपूर्ण घटनाएं आदि के बारे में अब लोगों को किसी से पूछना नहीं पड़ेगा। रेलवे स्टेशनों की दीवारें सबकुछ बयां कर देंगी।
स्थानीय आर्ट स्कूल और कॅालेज के विद्यार्थी ऐतिहासिक महत्व को बताने वाली कलाकृतियां रेलवे स्टेशनों और ट्रैक के सहारे वाली दीवारों पर उकेरेंगे। सितंबर से स्टेशनों की दीवारें सजना शुरू हो जाएंगी। रेलवे स्टेशनों की सुंदरता बढ़ाने के लिए रेलवे बोर्ड यह कदम उठाने जा रहा है। चित्र बनाने के लिए स्थान और दीवारें रेल मंडल उपलब्ध कराएगा। विद्यार्थी उन चयनित जगहों पर कलाकृति बना सकेंगे। रेलवे बोर्ड के निर्देश मिलने के बाद रेल मंडल ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए स्कूल और कालेजों से संपर्क किया जा रहा है। स्टेशनों की दीवारों का सजाने के लिए सहमति देने वाले स्कूल, कॉलेजों से रेलवे बाकायदा अनुबंध करेगा।
रेलवे की टीम करेगी सर्वे
पीआरआई मुकेश कुमार पांडे ने बताया एरिया फॉर पेंटिंग के लिए मंडल का इंजीनियरिंग, कमर्शियल विभाग और स्टेशन मास्टर संयुक्त रूप से सर्वे करेगा। इसमें पता लगाया जाएगा कि स्टेशनों की किन दीवारों, बाउंड्रीवॉल या अन्य स्थानों पर पेंटिंग बनाई जाना है। स्टूडेंट द्वारा बनाई जाने वाली पेटिंग टीम फाइनल करेंगी फिर स्टूडेंट्स को जगह उपलब्ध कराई जाएगी।
‘ए-वन’- ‘ए’ कैटेगरी से शुरुआत
शुरुआती दौर में रेल मंडल के ए-वन और ए केटेगरी वाले स्टेशनों और ट्रैक साइड की दीवारों को सजाया जाएगा। मंडल के 115 स्टेशनों में से एकमात्र इंदौर ए-वन जबकि ए कैटेगरी में उज्जैन, रतलाम, चित्तौड़गढ़, देवास और नागदा शामिल हैं। बी, सी और डी केटेगरी में बाकी के स्टेशन आते हैं। आखिरी की दो कैटेगरी को छोड़ने के साथ ही बी कैटेगरी के भी कुछ गिने-चुने स्टेशनों को ही इसमें शामिल किया जाएगा।