शराब दुकान हटाने के लिए अब सीएम को लिखे पोस्टकार्ड

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पिछले साल मार्च में गांधी नगर माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों ने तत्कालीन कलेक्टर बी.चंद्रशेखर को चिट्ठी लिखी थी। इसमें गुहार लगाई थी कि उनके स्कूल के पास से शराब की दुकान हटाई जाए। दुकान के बाहर खड़े शराबी आती-जाती छात्राओं को छेड़ते हैं, अभद्र इशारे करते हैं। दुकान पर शराबियों का शोर-शराबा दिनभर चलता है जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब तो सीएम ने भी घोषणा कर दी है लेकिन अफसरों को स्कूल के पास शराब दुकान नहीं दिख रही है। परेशान महिलाओं और बच्चों ने अब मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी है।

घर-घर जाकर लिखवाएंगे पत्र
गांधीनगर क्षेत्र संघर्ष समिति की दीपा दुबे ने बताया स्कूल के पास से शराब की दुकान बंद करवाने के लिए क्षेत्र के घर-घर जाकर भी पत्र लिखवाया जाएगा।

मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी
शराब की दुकान के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इस बारे में शिक्षा विभाग से रिपोर्ट मांगी जाएगी। आरसी बारोड़, एडीओ

दीपा दुबे, नीतू वर्मा, संगीता पांचाल, विनिता वर्मा, लवलीन वर्मा, राजेश्वरी वर्मा, मुस्कान पांचाल, यश पांचाल, पायल पांचाल महिलाओं सहित अदन डेनियल, आकाश, मीनी दुबे आदि ने पोस्टकार्ड लिखे।

इन्होंने लिखा पत्र
पोस्टकार्ड में क्षेत्र की महिलाओं और बच्चों ने लिखा है कि हम पिछले साल फरवरी से ही स्कूल के पास की शराब दुकान हटाने के लिए कलेक्टर से लेकर हर अधिकारी को लिख चुके हैं। लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। डीईओ तक ध्यान नहीं दे रहा है। आबकारी विभाग के अधिकारियों को भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। तत्कालीन कलेक्टर ने कहा था कि अगले साल स्कूल के पास से शराब की दुकान हटाई जाएगी लेकिन अभी तक शासन को प्रस्ताव भेजने तक की तैयारी नहीं की गई है। फिर एेनवक्त पर अधिकारियों का यही कहना रहेगा कि हमें प्रस्ताव भेजने में देरी हो गई। कुल मिलाकर सभी अधिकारी शराब के ठेकेदार को फायदा पहुंचाने में लगे हैं। जबकि हमारी बेटियां शराब की दुकान के सामने से निकल नहीं पा रही है। उन्हें अभद्र फब्तियां सुनना पड़ रही है और अभद्र इशारे किए जा रहे हैं। शराबी दिनभर गालियां देते हैं। जिसके शोर से स्कूल के विद्यार्थियों का पढ़ना मुश्किल हो गया है। सभी का जीना मुहाल है लेकिन अफसर शराब के ठेकेदार को फायदा पहुंचाने में लगे हैं। आपकी घोषणा के बाद भी किसी अधिकारी को कोई असर नहीं है। इसलिए मजबूरी में आपको पोस्टकार्ड लिखना पड़ रहा है।