सराफा एसोसिएशन के सचिव की दुकान में काम करने वाला एक सेल्समैन 41 किलो 380 ग्राम चांदी के आभूषण लेकर भाग गया। सेल्समैन अप्रैल 15 से गायब है। सराफा सचिव ने माणकचौक थाने में सोमवार को अमानत में खयानत की रिपोर्ट दर्ज कराई। सेल्समैन के परिजन अप्रैल में गुमशुदगी दर्ज करवा चुके हैं। चांदी के आभूषणों की कुल कीमत 10 लाख 54 हजार 63 रुपए है। सराफा से बंगाली कारीगर द्वारा सोना लेकर भागने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। सेल्समैन द्वारा चांदी के आभूषण लेकर भागने की पहली घटना है।

सराफा एसोसिएशन सचिव रामबाबू शर्मा ने पुलिस को बताया बुद्धेश्वर रोड, टाटा नगर निवासी कमल सोनी को उसके ससुर रामरतन सोनी की जमानत पर दुकान में सेल्समैन के काम के लिए रखा था। एक साल काम करने के बाद 2 अप्रैल 15 को वह 3 लाख 47663 रुपए के 12 किलो 810 ग्राम चांदी के आभूषण बेचने गया था। दो-तीन दिन बाद रुपए मांगने पर उसने कहा सामने वाली पार्टी 8 दिन बाद हिसाब करेगी। फिर 6 अप्रैल को 17 किलो 170 ग्राम और 11 अप्रैल को 11 किलो 400 ग्राम चांदी के आभूषण ले गया। 11 अप्रैल को उससे तीनों सौदे के 10,54,063 रुपए मांगे तो उसने पार्टी से पूरा पेमेंट लाकर देने का आश्वासन दिया। 11 अप्रैल के बाद कमल दुकान पर नहीं आया तो टाटा नगर जाकर उसकी प|ी रानी से पूछताछ की। रानी ने बताया कि कमल कई दिनों से घर नहीं आया। 24 अप्रैल को माणकचौक थाने में गुमशुदगी दर्ज करवाई है। इसके बाद व्यवसायी रामबाबू ने रुपयों के लिए कमल के घर के कई चक्कर लगाए परंतु वह नहीं मिला। रामबाबू ने पुलिस को बताया जेवर के रुपयों से कमल द्वारा साढ़ू के नाम से मकान खरीदने की जानकारी मिली है। तलाश करने पर कमल नहीं मिला तो उसके खिलाफ रविवार रात को माणकचौक थाने में अमानत में खयानत की रिपोर्ट दर्ज कराई।

व्यापारी से आलीराजपुर में मिला था कमल

व्यापारी रामबाबू ने बताया अप्रैल में ही चांदी जाने के बाद कमल की प|ी व ससुर रामरतन सोनी ने रुपए दिलाने का आश्वासन दिया। आलीराजपुर में एक बार कमल से भी बात हुई। कमल ने रुपए लौटाने का आश्वासन दिया। रुपए लौटाने का आश्वासन देने के कारण रिपोर्ट में देरी हुई। यह पूछने पर कि थाने में गुमशुदगी दर्ज थी और आप कमल से आलीराजपुर में मिले तब पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी? शर्मा ने बताया उनके साथियों ने कमल को पकड़कर पुलिस को सौंपने की कोशिश की थी परंतु वह भाग निकला।

आंगड़िये (कोरियर) माल लाते-ले जाते हैं

जानकारी के अनुसार चांदी के पाट और आभूषण लाने-ले जाने का काम करने वाले कोरियर (युवक) को आंगड़िया कहते हैं। ये समय के अनुसार 200 से 400 रुपए किलो के हिसाब से चांदी लाने और ले जाने का काम करते हैं।

रोज डेढ़ सौ किलो चांदी का होता है व्यापार

सराफा व्यापारियों के अनुसार रतलाम में घुंघरू बनाने का काम बड़े पैमाने पर होता है। करीब 100 किलो घुंघरू रोज बाहर भेजे जाते हैं। वहीं 50 किलो चांदी की खपत रतलाम में होती है। सीजन के समय आंकड़ा बढ़ जाता है। रतलाम में चांदी के करीब 70 व्यापारी और 150 से अधिक कारीगर हैं। इनमें बंगाली कारीगर शामिल नहीं हैं। इंदौर, राजकोट और मुंबई से रतलाम में चांदी आती है और रतलाम से चांदी के आभूषण इंदौर, उज्जैन, देवास, बांसवाड़ा, सागवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उन्हेल, शामगढ़, बड़नगर, बदनावर, धार, राजोद जाते हैं।

कमीशन पर काम करता था सेल्समैन

जानकारी के अनुसार आभूषण की दुकान पर कमीशन और सैलरी पर सेल्समैन रखते हैं। दुकान में काउंटर पर काम करने वाले अधिकतर सेल्समैन सैलरी पर काम करते हैं जबकि रतलाम और रतलाम के बाहर दुकानों पर आभूषण बेचने वाले अधिक काम होने के कारण कमीशन पर काम करते हैं। व्यापारी रामबाबू ने बताया कमल उनकी दुकान में कमीशन पर काम करता था। दुकान से माल उठाने के बाद भाव बढ़ने पर उसे ज्यादा राशि मिल जाती थी।

By parshv