सहकारिता में प्रबंधन महत्वपूर्ण है प्रशासन नहीं। दुग्ध समितियों का नेटवर्क बढ़ना चाहिए। दुनिया में सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन भारत में होता है और यही सबसे ज्यादा दुग्ध समितियां भी हैं। इनका नेटवर्क बढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें समिति ही प्रमुख है, सरकार का हस्तक्षेप नहीं के बराबर है, जबकि सेवा सहकारी संस्थाओं की संख्या कम है और इसमें सरकार का हस्तक्षेप अधिक है।
यह बात भारतीय राष्ट्रीय डेयरी फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष तथा सहकार भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष माडगे ने कही। वे जिला सहकारी संघ द्वारा आयोजित सहकारी सप्ताह में जड़वासा कला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा सहकारी क्षेत्र को विकसित करने का काम दुग्ध समितियों के माध्यम से हो सकता है। संस्थाओं को मंदिर के समान पवित्र मानकर नि:स्वार्थ भाव से काम करना होगा, तभी संस्थाएं फल-फूल सकेंगी। संस्थाओं को स्वयं के बल पर आत्म निर्भर बनाना होगा, स्वयं के संसाधन तैयार करना होंगे। सरकार की मदद की अपेक्षा से संस्थाएं कभी लंबे समय तक काम नहीं कर पाती। माडगे ने कहा एक समय जो संस्था के सदस्य एक बोतल दूध समिति के माध्यम से दिया करते थे, वहां 950 लीटर दूध देने की क्षमता बनी है।
दुग्ध उत्पादकों की समस्या पर ध्यान दे रहे हैं : शर्मा
अध्यक्षता करते हुए उज्जैन दुग्ध संघ उपाध्यक्ष देवेंद्र शर्मा ने कहा पिछले सालों में दुग्ध संघ ने काफी प्रगति की है। दूध सप्लाई के क्षेत्र में दुग्ध संघ काफी सक्षम भी हुआ है। अन्य उत्पादन भी डेयरी में होने लगे हैं, जिसकी मांग भी बड़ रही है। प्रशिक्षण की योजनाएं भी बनाई जा रही हैं ताकि दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो।
सहकारिता का प्रचार-प्रसार करना ही जिला संघ का लक्ष्य है-जोशी
सस्था अध्यक्ष शरद जोशी ने कहा सहकारिता के माध्यम से सुशासन एवं व्यवसायीकरण को बढ़ावा मिले इस पर ध्यान दिया जा रहा है। सहकारी संगठन अपने आप में एक समुदाय है। उपायुक्त सहकारिता परमानंद गोडरिया, बैंक के पूर्व उपाध्यक्ष बाबूलाल कर्णधारा, संस्था जड़वासाकला के उपाध्यक्ष अभिषेक पाटीदार ने भी संबोधित किया। सुभाष मंडवारिया, छोगालाल पाटीदार, महेश शर्मा आदि मौजूद थे। आभार दुग्ध संस्था जड़वासाकला के अध्यक्ष प्रदीप सिंह सिसौदिया ने माना।
27 सालों से समितियां भी बढ़ी हैं व सदस्य भी
दुग्ध संघ के संचालक सत्यनारायण झाला ने दुग्ध समितियों के सदस्यों के समक्ष आ रही कठिनाइयों को बताया। उन्होंने कहा बीते 27 सालों से दुग्ध संघ के सदस्य हैं। इन वर्षों में समितियां भी बढ़ी हैं और सदस्य भी। उन्होंने कहा यह संस्था सहकारी क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने में निरंतर प्रय|शील है। सहकार भारती मालवा प्रांत अध्यक्ष रामचंद्र गोयल ने कहा सहकारी आंदोलन को तभी गति मिल सकती है जब लोग संस्कारित होकर इस आंदोलन से जुड़े।