रतलाम.रतलाम जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड की छत गिरने के बाद राहत कार्य में आम लोगों ने गजब की तत्परता दिखाई। प्रशासनिक व निगम का अमला पहुंचने से पहले ही लोगों ने अपने स्तर पर राहत कार्य शुरू कर दिया। हादसा 11.40 बजे हुआ, इसके 1 घंटा 20 मिनट बाद रात 1 बजे जेसीबी और निगम का अमला अस्पताल पहुंचा।
यही स्थिति बिजली कंपनी के साथ भी थी। तेज बारिश हो रही थी और क्षतिग्रस्त हिस्से में करंट फैलने का अंदेशा था। करंट और लटकी हुई छत के डर से राहत कार्य में लगे लोग भी डरकर काम कर रहे थे। बिजली कंपनी का अमला भी यहां रात 1 बजे पहुंचा। इसके बाद वार्ड के इस हिस्से की बिजली काटी गई।
12 सदस्यीय टीम के पहुंचते ही जेसीबी रोक दी गई
राहत कार्य के लिए रात करीब 2.30 बजे रेल राहत सेवा (टीआरडी) घटनास्थल पहुंच गया। 12 सदस्यीय टीम के पहुंचते ही जेसीबी रोक दी गई। टीम ने अपने उपकरणों की मदद से मैन्युअली बचाव कार्य शुरू किया। प्रशासनिक अमले में सबसे पहले एसडीएम सुनील झा पहुंचे। उनके बाद कलेक्टर बी. चंद्रशेकर व एसपी आए। विधायक चेतन्य काश्यप, महापौर डॉ. सुनीता यार्दे भी मौके पर पहुंची। राहत कार्य में बाधा न पहुंचे इसे देखते हुए पुलिस प्रशासन ने जिला अस्पताल के मुख्य गेट को बंद करवा दिया।
राहत कार्य के लिए रात करीब 2.30 बजे रेल राहत सेवा (टीआरडी) घटनास्थल पहुंच गया। 12 सदस्यीय टीम के पहुंचते ही जेसीबी रोक दी गई। टीम ने अपने उपकरणों की मदद से मैन्युअली बचाव कार्य शुरू किया। प्रशासनिक अमले में सबसे पहले एसडीएम सुनील झा पहुंचे। उनके बाद कलेक्टर बी. चंद्रशेकर व एसपी आए। विधायक चेतन्य काश्यप, महापौर डॉ. सुनीता यार्दे भी मौके पर पहुंची। राहत कार्य में बाधा न पहुंचे इसे देखते हुए पुलिस प्रशासन ने जिला अस्पताल के मुख्य गेट को बंद करवा दिया।
गहरी नींद लगी ही थी कि अचानक से तेज आवाज आई
घायल राधेश्याम ने बताया कि मैं अपने भानेज सुरेश के साथ रात 10 बजे विरियाखेड़ी से अस्पताल पहुंचा था। बेटी पायल को ससुराल से डिलीवरी के लिए लाए थे। उसे परसों (गुरुवार) ही बेटी हुई है। अस्पताल दलिया देने आया था। पायल ने दलिया खाया उसके बाद मैं और सुरेश बरामदे में सो गए। हमारे आसपास 12 से 15 लोग थे। गहरी नींद लगी ही थी कि अचानक से तेज आवाज आई। हम जागे, संभल पाते कि इससे पहले ही मलबा हमारे ऊपर गिरने लगा। सिर पर चोट लगी और कब मलबे में दब गए पता ही नहीं चला।
नींद लगी ही थी कि मुंह पर मलबा गिर पड़ा
पत्नी सीमा को 3 दिन पहले अस्पताल लेकर आए थे। 22 तारीख को बेटी हुई है। मैं पूरे दिन पत्नी के पास ही था। दिनभर परिचित हाल-चाल जानने आते रहे। रात 10 बजे जब सभी मिलने-जुलने वाले जा चुके थे, पत्नी और मैंने खाना खाया। नर्स ने उसे दवाई और इंजेक्शन दिया, उसे नींद आ रही थी तो मैं बिस्तर लेकर बरामदे में आकर सो गया। नींद लगी ही थी कि मुंह पर अचानक से कुछ आकर गिरा। आंखें खोली तो छत से मलबा गिर रहा था, संभलकर भागने की कोशिश की लेकिन सबकुछ इतनी जल्दी में हो गया कि संभल ही नहीं पाया।
घायल जगदीश निवासी ग्राम सरवनी
पत्नी सीमा को 3 दिन पहले अस्पताल लेकर आए थे। 22 तारीख को बेटी हुई है। मैं पूरे दिन पत्नी के पास ही था। दिनभर परिचित हाल-चाल जानने आते रहे। रात 10 बजे जब सभी मिलने-जुलने वाले जा चुके थे, पत्नी और मैंने खाना खाया। नर्स ने उसे दवाई और इंजेक्शन दिया, उसे नींद आ रही थी तो मैं बिस्तर लेकर बरामदे में आकर सो गया। नींद लगी ही थी कि मुंह पर अचानक से कुछ आकर गिरा। आंखें खोली तो छत से मलबा गिर रहा था, संभलकर भागने की कोशिश की लेकिन सबकुछ इतनी जल्दी में हो गया कि संभल ही नहीं पाया।
घायल जगदीश निवासी ग्राम सरवनी
ये हुए घायल
धन्नालाल पिता बाबूजी (30 वर्ष) तेलज, जगदीश पिता भीलजी (26) सरवनी, शिवकरण पिता बगदी राम (40) मचून, सुरेश पिता कैलाश (27) मुखर्जीनगर, भूरीबाई पति राधेश्याम (50) बांगरोद, रामचंद्र पिता नृसिंह (45) मूंदड़ी, सोनू लश्करी (18) मोतीनगर, राधेश्याम पिता हीरालाल (40) निवासी बिरियाखेड़ी, दिनेश पिता कोदर (20) रामपुरिया।
नरेंद्र की पत्नी प्रसूित वार्ड में थी भर्ती
प्रसूति वार्ड के मलबे से रात 2.31 बजे पहला शव निकाला गया। जेसीबी की सहायता से मलबा हटाने के बाद राहत में लगे लोगों को मलबे में दबा हाथ नजर आया। व्यक्ति को निकालने के साथ मौके पर मौजूद डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक की पहचान रिश्तेदारों ने नरेंद्र पिता छोटेलाल उम्र 45 वर्ष निवासी मोतीनगर के रूप में की। नरेंद्र का छोटा भाई सोनू लश्करी भी घायल हुआ। नरेंद्र की पत्नी पप्पी प्रसूति वार्ड में भर्ती थी, शुक्रवार को ही उसे बेटी हुई है। विधायक चेतन्य काश्यप ने बताया हादसे को लेकर शासन स्तर पर बात हुई है। मृतक नरेंद्र के परिजन को दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिलवाई जाएगी। कलेक्टर ने कहा मृतक नरेंद्र के परिजन को रविवार को शासन के नियमानुसार राहत राशि प्रदान कर दी जाएगी।
कलेक्टर ने कहा- बारिश के कारण कमजोर हो गई थी छत
जिला अस्पताल की बिल्डिंग रियासतकाल की बनी हुई है। इसका नामकरण तत्कालीन राज परिवार की सदस्य राजकुंवर के नाम पर किया गया था। 3 अगस्त 1928 को लार्ड इरविन ने इस अस्पताल भवन का शिलान्यास किया था। 11 दिसंबर 1932 को लार्ड विलिंगटन ने लोकार्पण किया। बिल्डिंग के जिस हिस्से में यह हादसा हुआ है उसका अधिकांश हिस्सा निर्माण के समय का है जबकि उसके ऊपर का तल 4 साल पहले बनाया था। एक साल पहले ही रिनोवेशन के बाद इस वार्ड को न्यू मेटरनिटी वार्ड के रूप में तब्दील किया था। न्यू मेटरनिटी वार्ड का जीर्णोद्धार 2005 में शुभम कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा कराया गया था। इसका 25 सितंबर 2005 को लोकार्पण तत्कालीन सांसद सुमित्रा महाजन, शिवराजसिंह चौहान व वन एवं सहकारिता मंत्री हिम्मत कोठारी ने किया था। कलेक्टर के अनुसार बारिश के कारण छत कमजोर हो गई थी। पहले बरामदे के ऊपर की छत गिरी। उसकी धमक से नीचे की छत भी ढह गई।
जिला अस्पताल की बिल्डिंग रियासतकाल की बनी हुई है। इसका नामकरण तत्कालीन राज परिवार की सदस्य राजकुंवर के नाम पर किया गया था। 3 अगस्त 1928 को लार्ड इरविन ने इस अस्पताल भवन का शिलान्यास किया था। 11 दिसंबर 1932 को लार्ड विलिंगटन ने लोकार्पण किया। बिल्डिंग के जिस हिस्से में यह हादसा हुआ है उसका अधिकांश हिस्सा निर्माण के समय का है जबकि उसके ऊपर का तल 4 साल पहले बनाया था। एक साल पहले ही रिनोवेशन के बाद इस वार्ड को न्यू मेटरनिटी वार्ड के रूप में तब्दील किया था। न्यू मेटरनिटी वार्ड का जीर्णोद्धार 2005 में शुभम कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा कराया गया था। इसका 25 सितंबर 2005 को लोकार्पण तत्कालीन सांसद सुमित्रा महाजन, शिवराजसिंह चौहान व वन एवं सहकारिता मंत्री हिम्मत कोठारी ने किया था। कलेक्टर के अनुसार बारिश के कारण छत कमजोर हो गई थी। पहले बरामदे के ऊपर की छत गिरी। उसकी धमक से नीचे की छत भी ढह गई।