शहर के 26 बरसाती नालों को पक्का बनाने की योजना को सरकार ने जोरदार झटका दिया है। नगर निगम ने 23.66 करोड़ में सारे प्रमुख नालों को एक साथ पक्के बनाने की तैयारी की थी। अमृत मिशन से इसके बदले अभी सिर्फ 10 करोड़ मंजूर हुए। निगम तीन चरणों में नालों को पक्का बनाएगा। पहले चरण में चार प्रमुख नालों को लिया जाएगा। निगम ने ज्यादा जलभराव की समस्या वाले नालों के नाम सुझाए हैं। अब प्रोजेक्ट डेवलपमेंट मॉनिटरिंग कमेटी (पीडीएमसी) टेक्निकल रूप से सर्वे कर बताएगी कि कौन से नाले को पहले चरण में लेकर पक्का बनाने में आसानी रहेगी। विधायक चेतन्य काश्यप की मौजूदगी में महापौर डॉ. सुनीता यार्दे, एमआईसी सदस्य और इंजीनियरों की चर्चा हुई है। विधायक ने विश्वास दिलाया मुख्यमंत्री ने 25 करोड़ की घोषणा की थी। शहर विकास के लिए रुपया लेकर आएंगे। अमृत मिशन में जो राशि मिली है, उसका उपयोग कर जलभराव की समस्या वाले नालों को पक्का बनाएंगे। सहमति से चार नालों को पहले चरण में बनाने पर विचार भी हुआ।

तीन नए नाले जोड़े थे, अब पुराने भी गए
3.ओझाखाली, शायर चबूतरा, करमदी रोड होते हुए आगे तक जाने वाला।

4. खेरादीवास, चौमुखीपुल, रामगढ़ चौड़ावासा होकर आगे जाने वाला।

पहले चरण में इन नालों को करेंगे पक्का

1.औद्योगिक क्षेत्र से निकलकर, अलकापुरी, जवाहरनगर, गोमदड़े की पुलिया, शास्त्रीनगर होते हुए त्रिवेणी के आगे तक।

2.हाट की चौकी मदीना मसजिद के यहां से निकलकर आईएमए हाल, बोहरा बाखल होते हुए अमृतसागर तक।

सीएम ने घोषणा कर रखी है
अमृत मिशन से सिर्फ 10 करोड़ रुपए ही आवंटित हुए हैं। 23 करोड़ वाली योजना की डीपीआर तैयार हो रही है। मुख्यमंत्री ने भी घोषणा कर रखी थी। राशि मिलने के साथ योजना को तीन चरणों में पूरा करेंगे। ज्यादा जलभराव की समस्या वाले वालों को पहले चरण के तहत पक्का बनाएंगे। डॉ. सुनीता यार्दे, महापौर

पहले निगम ने 23 नालों को 23.66 करोड़ की लागत से पक्का बनाने की तैयारी की थी। मार्च में हुए नए सर्वे में इसमें तीन नए नाले जोड़े थे। राशि कम मिलने से अब पुराने वाले नाले ही पूरे नहीं बन पाएंगे। बताया जा रहा है कि प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार के कारण राशि कम मिली है। मुख्यमंत्री ने तीन साल पहले घोषणा की थी। पहले नगर निगम ने देरी की, योजना बनी तो प्रशासन ने बीते साल बड़े पैमाने पर नालों व उनके आसपास से अतिक्रमण हटाया। इसके बाद डीपीआर में संशोधन होना था, जो अब तक नहीं हो पाया है। इसकी जिम्मेदारी एमपी अर्बन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीयूडीसी) को और उसने वेप्कोस कंपनी को दी थी। फरवरी तक टालमटोल करने के बाद वेप्कोस ने मार्च में सर्वे खत्म कर रिपोर्ट नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को भेजी है। डीपीआर भी उसी को बनाना है।