रतलाम। इंदौर के एक निजी अस्पताल में नाक का ऑपरेशन करने के दौरान कोमा में गए शहर के छात्र आयुष जोशी की 84 दिन बाद बुधवार तड़के मौत हो गई। वह परिवार का इकलौता बेटा था। परिजन ने लाखों रुपए खर्च कर हर स्तर पर उपचार कराया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। शासन ने मदद की मांग की गई लेकिन कोई राहत नहीं मिली। अलकापुरी मोहनबाग के पास स्थित पुखराज रेसीडेंसी निवासी आयुष पिता अजय जोशी (21) बीकाम सेकंड इयर की पढ़ाई कर रहा था। वह दो भाई-बहनों में बड़ा होकर परिवार इकलौता पुत्र था।
पिता अजय जोशी नमकीन बेचने का काम करते हैं। आयुष को नाक से सांस लेने में परेशानी होती थी। स्थानीय डॉक्टरों ने स्थायी उपचार के लिए उसके नाक के ऑपरेशन की सलाह दी थी। परिजन ऑपरेशन के लिए आयुष को 29 मार्च को इंदौर के डॉ. संजय अग्रवाल के पास ले गए। डॉ. अग्रवाल ने इंदौर के एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन करने की बात कही।
1 मार्च को इंदौर के नोबल हॉस्पिटल में ले जाया गया था, जहां डॉ. अग्रवाल, एनेस्थिसिया स्पेशलिस्ट डॉ. अशोक कासठ व अन्य डॉक्टरों ने सुबह 8 बजे ऑपरेशन प्रक्रिया प्रारंभ की और थोड़ी देर बाद ऑपरेशन रूम से बाहर आकर बताया था कि आयुष को कन्वर्जन (झटके आना) आ रहे हैं तो इंजेक्शन लगाए हैं। इसके बाद एंबुलेेंस बुलाकर ताबड़तोड़ आयुष को दूसरे अस्पताल शिफ्ट कर दिया गया था, जहां 13 दिन वेंटीलेटर पर रखने के बाद आयुष को होश आया तो उसके दिमाग का 80 प्रतिशत हिस्सा डैमेज होने की जानकारी मिली।
एम्स में उपचार पर नहीं हुआ सुधार
इंदौर से परिजन आयुष को लेकर शहर के सागोद रोड स्थिति निजी अस्पताल मेें लेकर आए। यहां कुछ दिन रखने के बाद उसे दिल्ली में एम्स में भर्ती किया। मामा शैलेंद्र शर्मा ने बताया कि वहां भी डॉक्टरों ने असमर्थता जताई तो पांच दिन पहले वापस रतलाम लाकर सागोद रोड स्थित निजी हॉस्पिटल में भर्ती किया जहां बुधवार सुबह करीब सवा पांच बजे उसने अंतिम सांस ली। इसके बाद उसका शव जिला अस्पताल लाया गया।
पोस्टमार्टम में विलंब
जिला अस्पताल में करीब दो घंटे तक उसका पोस्टमार्टम नहीं हुआ। इससे परिजन परेशान हो गए। जानकारी मिलने पर रेडक्रास सोसायटी के चेयरमेन महेंद्र गादिया व भाजपा नेता मनोहर पोरवाल अस्पताल पहुंचे और सिविल सर्जन आनंद चंदेलकर से चर्चा कर पोस्टमार्टम कराया। गादिया ने बताया कि डॉक्टर एक-दूसरे की ड्यूटी बताकर पोस्टमार्टम करने नहीं आ रहे थे। पोस्टमार्टम डॉ. गोपाल यादव व दिनेश भूरिया की पैनल ने किया।
शासन-प्रशासन ने नहीं की मदद
आयुष के पिता अजय व मामा शैलेेंद्र शर्मा ने बताया कि उन्होंने आर्थिक तंगी के बाद भी हर स्तर पर इलाज कराया। एम्स में केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज से मिलने आए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को भी अवगत कराया। करीब 15 मिनट तक चर्चा में आर्थिक मदद देने की बात कही थी लेकिन मदद नहीं मिली। परिजन ने डॉक्टरों द्वारा इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, गृहमंत्री व वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को डेढ़ माह पहले की थी लेकिन डॉक्टरों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।